उठो... ! जागो... ! जगकर देखो मेरे हमवतन अजीजों
आजादी अपनी ही हुकूमत के हाथों ना गुलाम हो जाए-
मेंहनत हमारी, पसीने हमारे,
क्यूं गिरगिट सा रंग दिखाने आये हो,
Privatization की आड़ में,
लूट मचानें आये हो।-
गुरूर हो गया सत्ता पर बैठे हुक्मरानों को,
अब जरूरत थोड़ा उनकी अकड़ उतारने की है!
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अरे लडकियों!
निजीकरण का विरोध करो नहीं तो सरकारी "दूल्हा" कहाँ से पाओगी?-
'आततायी' निजीकरण
निजीकरण इक चिड़िया,
उड़ते-उड़ते आई है,
पेट फुलाते आकाओं की,
मलाईदार लुगाई है।
नहीं फ़िकर इनको,
भूखों मरते इंसान की,
आका को बस चहिए चाभी,
सत्ता के मकान की।
बिजली, रेल, सड़क हो,
चाहे हो दफ्तर दुकान,
संविधान में सेंध लगाएं,
बेंच दिया ईमान।
निजीकरण की आड़ में,
करते पूँजीवादी मनमानी,
बेसुध सी जनता बेचारी,
पीती विष, समझकर पानी।
आज नहीं चेते ग़र तो,
कल क्या मुख दिखलाओगे,
आने वाली पीढ़ी की,
नज़रों में गिर जाओगे।-
मैं भगत हूँ , भगत का ..
मुझे आज़ाद रहने दो ..।।
मैं तन पर वतन की मिट्टी को लपेटे हूँ ,
तुम ये निजीकरण का मखमली...
लिबास रहने दो ...।-
मोटी पगार लेने वाला सरकारी अधिकारी काम नहीं करता, जो करता है वो रिश्वत लेता है, रेलगाड़ी कभी समय से चलती नहीं डिब्बे और शौचालय स्वच्छ होते नहीं,ना जाने क्यों सरकारी अस्पातालों मे स्वच्छता-सुविधा होती नहीं,हम सरकारी स्कुलो में बच्चे पढ़ाते नहीं,बस भी रेड बस वाल लेते हैं,पुलिस कभी समय से आती नहीं ,नेता अपनी दलाली से चुकते नहीं सहयोग करने तो आता नही सरकार के खांसने झिकने का भी विरोध मचाते है और जनता निजीकरण का विरोध करने में लगी है।😂
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