काश कोई मुझे समझ पाता
होता कोई जो शायद ये सुन पाता
बिना बोले वो सब स्मझ पता
और थोरी सी खुशी दे जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
होता कोई जिसकी आंखे दिल तक पहुँच पाती
या कहें कोई इन अंशुओ की मोल परख जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
सुन पाता साथ दे पाता ज्यादा नहीं
बस थोरी सी हँसी दे जाता
काश कोई मुझे समझ पता
होता कोई जो इस अंधेरे से बहार निकल पाता
या नहीं भी निकल पाता तो
एक हल्की सी रोशनी दिखा जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
नहीं जानती क्यों उम्मिद है आज भी
टूटा है रोया है खोया है
होता कोई जो इन इन सबको जोर पाता
काश को मुझे समझ पाता
हँसी के पिछे की जख्म देख पाता
दवा न भी कर पाये तो दुआ तो दे जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
नहीं होता हँसना इतना आसान
दिल की भोज बड़ी भारी होती है
उतना नहीं कहती पर हिम्मत तो दे जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
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