कभी भी आपके समस्या की औकात आपके मेहनत से ज्यादा नहीं हो सकती है।
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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्म... read more
निपट चुके अखिलेश
बचा न है अब कुछ शेष
देखते जाओ आगे
ये जीत है जरा विशेष
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काश कोई मुझे समझ पाता
होता कोई जो शायद ये सुन पाता
बिना बोले वो सब स्मझ पता
और थोरी सी खुशी दे जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
होता कोई जिसकी आंखे दिल तक पहुँच पाती
या कहें कोई इन अंशुओ की मोल परख जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
सुन पाता साथ दे पाता ज्यादा नहीं
बस थोरी सी हँसी दे जाता
काश कोई मुझे समझ पता
होता कोई जो इस अंधेरे से बहार निकल पाता
या नहीं भी निकल पाता तो
एक हल्की सी रोशनी दिखा जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
नहीं जानती क्यों उम्मिद है आज भी
टूटा है रोया है खोया है
होता कोई जो इन इन सबको जोर पाता
काश को मुझे समझ पाता
हँसी के पिछे की जख्म देख पाता
दवा न भी कर पाये तो दुआ तो दे जाता
काश कोई मुझे समझ पाता
नहीं होता हँसना इतना आसान
दिल की भोज बड़ी भारी होती है
उतना नहीं कहती पर हिम्मत तो दे जाता
काश कोई मुझे समझ पाता-
हर वार का पलटवार होगा
की रूख अब ऐसा तैयार होगा
थमेगी ना ये हवा, जंग यूँ बेशुमार होगा।।-
खुद मे लौटी हूँ मैं तो
लगता है कोई और हूँ मैं,
ताकती रहती हूँ राह पुरानी
पता नहीं कितनी दूर हूँ मैं।।-
मुश्किल क्या मारेगी
अब इन लङने वालों को।
लोग क्या तोड़ेंगे अब
कण-कण से निखरने वालों को।।-
विचार छुट्टीयों पर गयी
कलम मिल नही रहीं
कुछ ऐसे मैने लिखना छोड़ दिया।।-