अखिल सौंदर्य ,,,प्रेमनगर के प्रांगण में
राजत रासराज संग रासलीला
शरद पूर्णिमा के पूर्णोपमा में
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दिन वो गुलजार था जो सोचा वो पास था
प्रेम मन्दिर की चौखट पर मेरा प्यार मेरे साथ था।
हाथों में उसका हाथ था वो नजारा कितना खास था
कान्हा के काँधे पर राधा रानी का जो हाथ था।।
उलझन में उस पल दिल बडा गुस्ताख़ था
राधा को तो देखूं क्या मिला मुझे रुकमिणी का जो साथ था।।।
कुछ दूर हुआ जो पास था कुछ़ खोया जो एहसास था
बरसाने की महारानी राधे फिर भूल हुई दिल गुस्ताख़ था।।।।
बरसाने की महारानी राधे जो भूल हुई दिल गुस्ताख़ था
बरसाने की राधारानी अब लौटा दे जो पास था।।।।।।
बरसाने की राधारानी अब लौटा दे जो साथ था।।।।।।
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अरे जाने दो तुम सबको तारों के शहर में...
हम तुम्हारे साथ प्रेम मंदिर चलेंगे...-
जीवन की मुश्किलों में गिरधर तुमने राह दिखाया
जब भी धुंधला गई मेरी नजर
तूने एक एक कदम चलवाया
कैसे तेरे बदले ये दुनिया ले लूं
मुझे तेरे अलावा कोई न भाया
मैंने जब भी तुम्हें दिल से बुलाया
तू कान्हा दौड़ा चले आया
जब भी कोई तिनका आंखों में आया
तूने मेरे आसुओं को है मुझसे चुराया
कैसे बसा लूं किसी और की छवि खुद में
जब मेरे अंदर तू है समाया ।।-
मम्मी ते बोल दई है ब्याह करानो ही है तो
छोरि वृंदावन की होवे अन्यथा हम प्रेम विवाह करेंगे....-
दो प्रेमी!
जिनका प्रेम जगत में सबसे प्यारा,
ऐसा जोड़ा मिलना इस संसार में अब आसान क्हां-
दिल मे सुकून❤️
आंखों में आराम सा है💜
ये प्यार ओर मोहब्बत ❤️
वृन्दावन की शाम सा है💜-
मेरी प्रार्थना का प्रेम मंदिर है तू
तू ठहरे तो तेरी परिक्रमा करूं— % &-