Rami   (Rami)
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Joined 31 May 2019


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6 AUG AT 8:12

जो हमेशा सुलगता रहे कुछ ऐसा ही है ये इश्क़
कभी ख्वाब बनकर तो कभी याद बनकर

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2 AUG AT 8:34

यूं तो गुमनाम सा रहा ये कुछ रिश्ता हमारा
मग़र ये इश्क़ का तकाज़ा जो था सरेआम कैसे ना हो भला

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29 JUL AT 9:17

इश्क़ वो गुनाह हैं जिसमें ना कोई गवाह हैं
दिल करता हैं ये जुर्म और रूह को मिलती सजा हैं

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24 JUL AT 8:42

रूह एक बस रंग अनेक
शिव और शक्ति हैं जिसका सिर्फ रूप ही एक

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23 JUL AT 10:06

लिख रही थी खत कोई कलम तेरी उम्मीद में
ना बचा सकी वजूद अपना और रंगी कुछ जैसे रूह-ए-इश्क़ में

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21 JUL AT 9:18

सागर सा उमड़ता प्रेम
अक्सर शोख लेती हैं विरह रूपी पेड़ की शाखाएं
और विशाल रूप लेता हैं ये यादों का वृक्ष मनोस्मृति में

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21 JUL AT 8:45

कुछ तुम बारिश सा प्यार तो करो
सावन और बारिश में महकती मिट्टी सा एहसास तो बनो
रिमझिम गिरती बूंदों सा साज़ तो बनो
हाँ कुछ तुम बारिश सा प्यार तो करो

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19 JUL AT 11:14

ज़िन्दगी की किताब में कुछ पन्ने कहीं गुम हैं
शायद बीते हुए लम्हों के एहसास कुछ नम हैं

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10 JUL AT 9:16

शाम-ए-ग़म
कोई बिखरा हैं यादों की महफ़िल में
और कहीं कुछ श्रृंगार अधूरा

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5 JUL AT 11:31

यूं तो बिछड़ना हमें नसीब हुआ
मग़र दिल ये हमारा भला इसमें कहा शरीक हुआ

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