मैं जब चाहूं तुम्हें बुला नहीं सकता
है दर्द कितना किसी को बता नहीं सकता
देखो तो तुम मेरी किस्मत जाना
तुम्हारे शहर में हूं मैं ओर तुमसे भला मिल नहीं सकता
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आशू शुक्ला
(बस इतनी सी थी ये कहानी)
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चांद तेरी रोशनी का हल्का सा साया हूं मैं
Shayari, poetry lover ❤️ &shayari creater Prepari... read more
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Joined 8 July 2019
24 MAY AT 18:41
3 FEB AT 17:28
जिसे चाहा वो अब हमारा न रहा
तुम्हारे शहर में अब हमारा कोई ठिकाना न रहा
बड़ी अजीब है ये मोहब्बत की बीमारी
जो था दवा हमारी देखो आज वही हमारा न रहा-
31 JAN AT 19:55
कुछ ख्बाव थे जो बिखरने के नहीं थे ,
वो लोग भी बिछड़े हमसे ए खुदा ,जो कभी बिछड़ने के काबिल नहीं थे,-
12 JAN AT 19:43
तनहाई में फरियाद तो कर सकता हूं मैं,
वीराने को आबाद तो कर सकता हूं मैं,
जब चाहूं तुम्हें मिल नहीं सकता मैं,
लेकिन जब चाहूं तुम्हें याद तो कर सकता हूं मैं,
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18 NOV 2024 AT 20:35
रहने दो कुछ मुलाकातें बाकी अभी,
सुना है जो बाक़ी रहता है उसे भुलाया नहीं करते,
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18 NOV 2024 AT 20:31
कोई लफ्जों को लिए बैठा रहा उम्रभर,
किसी ने आंखें पढ़कर इज़हार कर दी मोहब्बत,-
13 NOV 2024 AT 19:16
खत्म हुआ ये रोशनी का त्यौहार.
आओ लौट चले फ़िर अंधेरों की दुनिया में.-