आशू शुक्ला   (बस इतनी सी थी ये कहानी)
1.5k Followers · 2.4k Following

read more
Joined 8 July 2019


read more
Joined 8 July 2019

मैं जब चाहूं तुम्हें बुला नहीं सकता
है दर्द कितना किसी को बता नहीं सकता
देखो तो तुम मेरी किस्मत जाना
तुम्हारे शहर में हूं मैं ओर तुमसे भला मिल नहीं सकता

-



जिसे चाहा वो अब हमारा न रहा
तुम्हारे शहर में अब हमारा कोई ठिकाना न रहा
बड़ी अजीब है ये मोहब्बत की बीमारी
जो था दवा हमारी देखो आज वही हमारा न रहा

-



कोई समझे मेरे हृदय की वेदना को.
तो फिर कोई मुझे मुझ सा लगे.

-




कुछ ख्बाव थे जो बिखरने के नहीं थे ,
वो लोग भी बिछड़े हमसे ए खुदा ,जो कभी बिछड़ने के काबिल नहीं थे,

-



इंसान इंसान को भूल सकता है,
लेकिन उससे जुड़ी यादों को नहीं,

-



तनहाई में फरियाद तो कर सकता हूं मैं,
वीराने को आबाद तो कर सकता हूं मैं,
जब चाहूं तुम्हें मिल नहीं सकता मैं,
लेकिन जब चाहूं तुम्हें याद तो कर सकता हूं मैं,

-


18 NOV 2024 AT 20:35

रहने दो कुछ मुलाकातें बाकी अभी,
सुना है जो बाक़ी रहता है उसे भुलाया नहीं करते,

-


18 NOV 2024 AT 20:33

कभी महफिलें थी प्यारी हमें,
आज तनहाईओ से मोहब्बत है हमें,

-


18 NOV 2024 AT 20:31

कोई लफ्जों को लिए बैठा रहा उम्रभर,
किसी ने आंखें पढ़कर इज़हार कर दी मोहब्बत,

-


13 NOV 2024 AT 19:16

खत्म हुआ ये रोशनी का त्यौहार.
आओ लौट चले फ़िर अंधेरों की दुनिया में.

-


Fetching आशू शुक्ला Quotes