जिसे चाहा वो अब हमारा न रहा
तुम्हारे शहर में अब हमारा कोई ठिकाना न रहा
बड़ी अजीब है ये मोहब्बत की बीमारी
जो था दवा हमारी देखो आज वही हमारा न रहा-
Shayari, poetry lover ❤️ &shayari creater Prepari... read more
कुछ ख्बाव थे जो बिखरने के नहीं थे ,
वो लोग भी बिछड़े हमसे ए खुदा ,जो कभी बिछड़ने के काबिल नहीं थे,-
तनहाई में फरियाद तो कर सकता हूं मैं,
वीराने को आबाद तो कर सकता हूं मैं,
जब चाहूं तुम्हें मिल नहीं सकता मैं,
लेकिन जब चाहूं तुम्हें याद तो कर सकता हूं मैं,
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रहने दो कुछ मुलाकातें बाकी अभी,
सुना है जो बाक़ी रहता है उसे भुलाया नहीं करते,
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कोई लफ्जों को लिए बैठा रहा उम्रभर,
किसी ने आंखें पढ़कर इज़हार कर दी मोहब्बत,-
खत्म हुआ ये रोशनी का त्यौहार.
आओ लौट चले फ़िर अंधेरों की दुनिया में.-
एक रोज़ एक किताब लिखेंगे.
जब भी लिखेंगे कुछ खास लिखेंगे.
दर्द लिखेंगे, खुशी लिखेंगे हम अपनी हर मज़बूरी लिखेंगे.
हर दिन की बात,हर रात की ख़ामोशी लिखेंगे.
हम अपने टूटे हुए अरमां की दास्तां लिखेंगे.
बहुत शिकायत हैं हमें तुमसे ऐ ज़िन्दगी.
अब तेरे ऊपर हम एक किताब लिखेंगे.
और लिखते लिखते दफ्न न हो ये ज़िन्दगी.
अब एक ही शब्द में पूरी कहानी लिखेंगे.....
वो कहते है कि...
तेरा लहज़ा तेरी बातें अच्छी लगती हैं.
तेरी सोचें, तेरी यादें अच्छी लगती हैं.
तु दे अब इल्जाम या दे अपनी चाहतें.
अब तेरी सारी सौगातें अच्छी लगती हैं....-