QUOTES ON #PREM

#prem quotes

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26 APR 2020 AT 20:43

जीवन,,
प्रेम को उपयुक्त
परिभाषा देने की
प्रक्रिया रहा..

और मन,,
इस प्रक्रिया में
प्रज्वलित
पवित्र अग्नि में
बारहा
झुलसा गया सोना...

मन उज्ज्वल है
किसी सिद्ध तपस्वी के
तेज आभामंडल की भाँति...

पर...
मन का,,,
कुंदन बनना
शेष है...


जीवन अभी..
शेष है।

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17 DEC 2019 AT 17:31

पुष्प प्रेम के,,,
सौंपे जाने चाहिए
केवल उन
दायित्ववान हाथों में
जो सहेज सकें
इनकी कोमलता को
आजन्म... और
विदा से पूर्व
खड़ी कर सकें
एक ऐसी सभ्यता
जिसे प्राप्त हो
उन्हीं की भाँति,,,
प्रेम को सुरक्षा देने की
कला में
महारत....

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24 OCT 2019 AT 13:53

पसंद नहीं मुझे..
मेरे रंग पे,,
किसी और रंग का आधिपत्य...
स्वास रुद्ध होने लगता है
कुछ अंतराल पश्चात,, और मैं
हर सम्भव प्रयास कर
मुक्त हो जाती हूँ उस प्रभुत्व से ।
पर ये क्या कि
हर बार तुम्हारा प्रेम
पिछली बार से अधिक
गहरे और गाढ़े रंग का लेप
मेरे मन पे
मल जाता है!! और मैं,
एवैं.. निर्द्वंद्व.. निःसंकोच..
जीने लगती हूँ
तुम्हें,,,,
,,,,,,,,
,,,,,,,,

फिर एक सदी तक।।

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19 JAN 2022 AT 19:59

"नारायण की नाभि से, महादेव के त्रिशूल से
मेखलाओं के संवेग से, संसार के मूल से
पुनर्जीवित पृथ्वी के क्षितिज के भेदों में
नए युग के हर प्राणी के स्वेदों में
दिखेगा तो केवल प्रेम ।"
◆【पूर्ण अनुशीर्षक में】◆

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मुझे छोड़कर उन्हें तो एक दिन जाना था,
मरते हैं जिस्म पर उनके, ए तो बस बहाना था,
मै तो निकला था जानने की कौन है नया आशिक उनका,
जब इलाहाबाद पहुंचा तो याद आया, Your qoute पर भी उनका एक दीवाना था।।

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20 OCT 2019 AT 21:05

मै तुम्हे आव्हन करुँगी
करुण की उस बेला मे
जब मै धरा पर चिरनिंद्रा की
तरह फैलने लगूंगी
और सिमटने लगूंगी उस पीड़ा अन्दर
जहाँ सिर्फ अँधेरा होता है उस
आकाशगँगा के काली गुफा की तरह
जो इतनी ताकतवर है की
हर प्रेम, हर उम्माद को
अपनी तरफ खींच करुणा
मे बदल देता है
तब तुम प्रेम का संचार करना
एक स्फूर्ति, जो मुझे कठोर, स्तम्भ
बनाने मे हिम्मत देगी
क्योंकि मै खड़ी हु वहाँ
जहाँ स्मृतियाँ टूटती है

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मैं कवियत्री हूँ प्रेम की,
मुझे जीवन भर बस प्रीत चाहिए !

जो रह जाय थोड़ा बहुत सा,
तो मुझे मेरी मृत्यु प्रेममयी चाहिए !

कि दम टूटे जब मेरा,
अंतिम साँस पिया की बाहों में चाहिए !

सुर्ख लाल सजे अर्थी मेरी,
मुझे मेरी मौत सुहागन वाली चाहिए !

रह जाय जो कुछ और बचा,
तो मेरे दाह संस्कार के बाद !

मुझे मेरी अस्तित्व की राख,
विसर्जित प्रेम घाट बनारस में चाहिए !!

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29 APR 2019 AT 8:05

प्रेम - ३
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प्रेम
जेठ की दुपहरी में
धरती से फटे हृदय पर
पानी की बौछार है
प्रेम; पहाड़ सरीखे जीवन पर
स्नेह के हथौड़ों की मार है
प्रेम आज भी
निर्बल व्यक्ति का सबसे बड़ा
हथियार है.

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15 JUL 2020 AT 23:01

हाँ मैं स्त्री हूँ।
मैं रिश्तों के कुरूक्षेत्र में अपने आपसे लड़ती हूँ।
हाँ मैं स्त्री हूँ।
कभी हमारे मन की गाँठ को खोल कर पढ़ो।
मैं तुम्हारे साथ जी उठती हूँ, महक उठती हूँ।
हाँ मैं स्त्री हूँ।
माना कभी आपके साथ नहीं रहती पर
हर लम्हा आपका साया बन रहती हूँ।
हाँ मैं स्त्री हूँ।
मैं अपने जीवन के सपने आपके साथ देखती हूँ
और उसे प्यार से खुशियो से सजो लेती हूँ।
हाँ मैं स्त्री हूँ।
खुद कि तकलीफ खुद ही सह लेती हूँ।
अपने सपनो को दूसरे की ख़ुशी के लिए तोड़ देती हूँ।
हाँ मैं स्त्री हूँ।
कभी-कभी जब बहुत दु:खी होती हूँ,
और खुश होती हूँ तो जी भर के रो लेती हूँ।
हाँ मैं स्त्री हूँ।

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30 APR 2019 AT 20:55

मैं अपने विरह को
कविता में पिरोकर
केवल वाहवाही के लिए
मुस्करा नहीं सकता!

मैं कवि बाद में हूँ,
प्रेमी पहले.

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