When I saw you
My heartbeat run like
Usain Bolt in 100 m
When I kiss you
I feel Swim in universe
Like phelps in Olympic
When u angry on me
Like I am umpire in front
Straight drive of Sachin
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Student -B. Sc(d.u) delhi
Science lover
Nature boy
Lending on earth-29j... read more
किसी ने हमे बनाने में
जिंदगी गुजार दि
और हम
अपनी जिंदगी बनाने में
उन्हें अकेला छोड़ गए— % &-
क्षेत्रों में ना आने वाले नेता,फिर से आना नहीं
अगर जनता तुम्हें पहचानने से इनकार कर दे तो घबराना नहीं
बड़ी आस थी युवाओं को तुमसे रोजगार की,ना दी तुमने
जो युवा काला झंडा दिखाया तो आंखों से आंसू बहाना नहीं
बड़ा दुर्गम रास्ते दिया है तुमने चलने को हमको
अगर कोई राही तुम्हें कंकड़ दिखाए तो सर बचाना नहीं
धोखा दिया है तुमने अपने जनता से कोई वादा पूरा न हुआ
अगर मतदाता तुम्हे वोट ना दें तो मुंह फुलाना नहीं
आम बन जनता का विश्वास पाया अब खास बने बैठे हैं
अगर जनता तुमसे रूठ जाए तो चौड़ीयाना नहीं
यह लोकतंत्र है यहां जनता सर्वोपरि है ,साहेब
अगर जनता तुम्हें गद्दीसे उतार दे तो बुदबुदाना नहीं — % &-
जो आपकी कभी सुनता नहीं
भला उसकी चुनाव में हम क्यों सुने
जो फेरता नहीं नजरें अब आंखों से
भला उसको हम क्यों चुने
जो लड़ता नहीं हमारे हक के लिए
भला उसको अपने साथ क्यों गिने
जो खरा नहीं उतरा हमारे विश्वासो पर
भला उसे हम अपना क्यों कहे
वादे तो लाखों किये मुकर गये
फिर मुड़कर क्यों हम उनसे कहे
जिसका नियत नही विकास करने का
भला उसे अपना नेता हम क्यों कहे
अनू
— % &-
पुरुष चाहता है
स्त्री हमेशा बनी रहे एक "वृत्त"
पर मुझे यकीन है
जिस तरह धरा अपने संपूर्ण ऊर्जा के साथ
ज्वाल उत्पन्न कर देता है
अपने श्रेष्ठतम होने का प्रमाण
ठीक वैसे हि स्त्रियां अपनी
असीम शक्तियों को समेट कर
भर डालेंगी सारे के सारे गहराइयों के भवर
और खींचेंगी पुरुषों के साथ एक
"समांतर रेखा"— % &-
सभी तरह के अभिक्रिया को प्रयोगशाला में सिद्ध किया जा सकता है
परंतु
प्रेम एक अदृश्य अभिक्रिया है
Love is an invisible reaction— % &-
मैंने देश की तकदीर को बदलते देखा है
गर्म खून को बर्फ बनते देखा है
झिलमिल सा होती जा रही है इंसानियत
चेहरे पर हवस को बढ़ते देखा है
गरीब को गरीब बन सड़क पर सड़ते देखा है
नेता को अमीरी की सीढ़ियां चढ़ते देखा है,
झिलमिल सा होती जा रही है इंसानियत
खाकी को जेब भरते देखा है
जनता को इंतजार करते देखा है
सरकारों पर कागजों पर रोजगार भरते देखा है ,
झिलमिल होती जा रही है इंसानियत
वोट में देश को धर्म के नाम पर बटते देखा है
सड़को पर छोटे बच्चों को रोते बिलखते देखा है
कुत्तों को ठाठ से गाड़ियों पर चढ़ते देखा है
झिलमिल सा होती जा रही है इंसानियत
एक पिता को अपने बेटे से पीटते हुए देखा है— % &— % &-
मैं नहीं हो जाऊंगा इतनी जल्दी राख़
मुझे लम्बा जलना है किसी के इंतजार में-
बुलंदियों पर भी तेरा ठहर कहां है
क्या तू जानता है कि तेरा शहर कहां है
यह चकाचौंध की दुनिया है, मत चढ़
क्या तू जानता है कि तेरा घर कहां है
ये मनमोहक रास्ते बुलाते है धूल चटाने को
क्या तू जानता है कि तेरा हश्र कहां है
ये सुनहरे सपने है किटकिटाते है रातों को
क्या तू जानता है कि तेरा रोजगार कहां है
यह मखमली कुर्सी है अंदर कांटों से भरा
क्या तू जानता है कि तेरा जात क्या है
मारा जाएगा आम से खास बनने की राह पर
क्या तू जानता है कि तेरा सरकार कहां है
लौट आ गरीब इंसान ख्वाबों की दुनिया से
क्या तू जानता है कि तेरा संविधान कहां है-
कुछ पहर बीत गया तेरी यादों में
अश्कों से भरी अभी पूरी रात है बाकी
हम रोज वही जाकर खड़े होते हैं
शायद अभी आखिरी मुलाकात है बाकी
भूला नहीं हु तेरी मीठी-मीठी बातों को
जिंदा वैसे ही अभी सारे जज्बात है बाकी
बुझी नहीं है आग मिलने की चाहत है
जल रही है इश्क की अभी मशाल है बाकी
इन आंखों ने लहू बहाया है इंतजार में
तेरे लिए जमाने से अभी इंतकाम है बाकी
अर्थी हो या डोली तेरे साथ ही होगी
"राजपूत"के मोहब्बत का इंकलाब है बाकी-