तो क्या हुआ जो रह न सके ख़ुश-दिली के साथ
तुम भी किसी के साथ हो मैं भी किसी के साथ
अबके बरस न जाने कहाँ खो गया वो शख़्स
सालों से जो खड़ा था मेरी ज़िंदगी के साथ
उसने भी एक रोज़ गिनाए तमाम उज़्र
मैंने भी हाथ छोड़ दिया बेबसी के साथ
हैरत है दोनों अपनी कहानी में खुश नहीं
लेकिन सभी से मिल तो रहे हैं खुशी के साथ
हँसते हुए जो ख़ाब सजाए थे हमने वो
अब टूटते भी हैं तो बहुत ख़ामुशी के साथ
देखो तो तिश्नगी के सबब लोग मर गए
लाशें भी आ रहीं हैं कहीं से नदी के साथ
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