Very well written"Vivek"
I also wanted to write
something but could,
Not write due to,
lack of time. very good👌👌
👈बहुत बढ़िया लिखतें है vivek sir,
अगर समय मिले तो जरूर पढ़े....✍✍😊-
दरख़्तों को काट कर अपने घर बसाने वाले,
आज नारा लगा रहे हैं, नये पेड़ लगाने वाले।
درختوں کو کاٹ کر اپنے گھر بسانے والے,
آج نعرہ لگا رہے ہیں, نئے پیڑ لگانے والے।-
ये सवाल सबको है,सरकार ने कितने 'Oxygen Plant' लगाए हैं,
ये मलाल किसी को नही कि खुद ने कितने "Plant" लगाए हैं।-
चारों तरफ़ धुआँ ही धुआँ है
ये मेरे शहर को क्या हुआ है
कुछ जला है - कुछ जलाया है
ये इन्सान ने ही तो हवा को जहर बनाया है
ये नई पीढ़ी को हमने क्या दिया है
पानी तो कब का छीन लिया
अब हवा का नंबर आया है
मुझे पता है ये वक़्त भी गुज़र जाएगा
दिवाली - न्यू ईयर की लड़ाई के साथ ये अगले साल फिर वापस आयेगा!
Stay inside! Wear mask! Eat healthy!
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माना बयान करना ..
मुश्किलों का, मुश्किल सा नहीं।
पर इतनी मुश्किल का दौर है,
के कहना मुश्किल है।-
"कीमत"
माना पैसा पेड़ों पर नहीं लगता,
पर पेड़ों ने भी अपनी कीमत बता दी
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Plant more,
Reduce pollution
Plant more,
Conserve energy
Plant more,
Breath freely
Plant more,
Protect ourselves as well as others
Plant more,
Preserve wildlife and many other innocent beings
Plant more,
Live more
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शहर में रहकर गाँव ढूँढते हैं
अज़ीब पागल है.......
हाथ में कुल्हाड़ी लेकर छाँव ढूँढते हैं..-