मैं पार्वती सा प्रेम करूंगी, तुम शिव सा
हर जनम मेरे आने का इंतजार करना ।-
तू हिम है मेरे हिमालय की
मैं तेरा हूं कैलाश प्रिये...
तू मेरी है प्रेम पुजारिन
मैं तेरा संसार प्रिये...
ये अथक गान जो फैली है
गीत प्रेम का राग प्रिये...
तू मेरी है प्रेम कि भाषा
मै तेरा हूं गुनगान प्रिये...
प्रेम ये जग मे बना हुआ है
अचरज का संसार प्रिये...
मैं तेरे हूं दिल के अन्दर
तू मेरी है दिलदार प्रिये...
मैं तेरे हूं मन का मोती
तू मेरी है संसार प्रिये...
तू हिम है मेरे हिमालय की
मैं तेरा हूं कैलाश प्रिये...-
समर्पण हो सती सा
पूर्ण एक-दूजे से शिव-शक्ति
प्रतिक्षा हो शिव सी
मिलन हो जैसे शिव-पार्वती-
तुम बन जाओ देवी पार्वती
बनु मै भोलेनाथ प्रिये,
मत्था टेके आज साथ मंदिर मे
ताकि बने अपनी भी बात प्रिये-
पहनकर आभरण प्रेम का
मैने राज काज को त्याग दिया
मन में केवल नाम शिव का
तन में शिव को व्याप लिया
❤
💙
चल पड़ी मैं शिव की नगरी
छोड़ कर हिमाचल अपना
बनकर महारानी कैलाश की
मैने शिव के हृदय में वास किया-
शिव की प्रतीक्षा में लीन होकर
शक्ति शिव में समा गई
शिव से अस्तित्व पूर्ण कर
शक्ति असुरों से लड़ गई
अर्धनारीश्वर रूप को निखारकर
शिव की अर्धांगिनी बन गई
अग्निकुण्ड में समाकर
सती प्रेम परिभाषित कर गई-
बन जाऊंगी मैं, पार्वती;
तू 'शिव' बन तो सही।
मैं भी हो जाऊंगी,
तेरे प्रेम में जोगन;
तू वैरागी बन तो सही।।-
समस्त संसार है इस बात का गवाह...!!
सर्वप्रथम शिव-पार्वती का हुआ था प्रेम-विवाह...!!-