Gunjan Pandey   (✍ Gunjan Pandey)
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Joined 31 May 2021


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9 HOURS AGO

कितनी अजीब बात है ना मां,
तू बिन कुछ बोले सब समझ जाती है।
और मैं तेरे पूछने पर भी कुछ
नहीं बता पाती हूं।

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2 AUG 2022 AT 18:12

मिले नयन जिस क्षण तुमसे
तुम ही मेरा आधार बन जाओ,
राम जैसे सिया के
पा कर तुम मुझे मेरे कहलाओ।

त्याग कर महलों सा सुख
तुम संग वन भी रह जाऊँ,
सिया की जैसे राम संग
मैं तुम संग प्रीत निभाऊँ।।

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28 FEB 2022 AT 8:59

कभी गुस्सा हो तुझसे किसी बात पर नाराजगी जताती हूँ
जिद्दी बन तेरी ना मान अपनी बात मनवाती हूँ,
माफ करना मुझे तू जानती हैं ना तेरे लिए हमेशा
बेटी तेरी नादान है माँ।
अपना हर दर्द परेशानी हमारे लिए भूल जाती है
खुशियों के लिए हमारी सब कुछ सह जाती है,
बन जाऊँ जब काबिल सभी पूरे करना चाहती हूँ
जितने भी तेरे अरमान है माँ।
तेरा साथ ना हो जब पास मेरे ये सोचना भी मुझे पसन्द नहीं
डर लगता है क्या होगा मेरा तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं,
कहने को तो बहुत बड़ी हैं ये दुनिया पर
कहाँ कोई तेरे समान है माँ।
बचपन से ही सिखाया तूने हमेशा पहले भगवान जी को पूजना
सुख में या दुख में वो हमारे साथ होते है उन्हें कभी मत भूलना,
पर मेरे लिए तो तू ही मेरा
पहला भगवान है माँ।।



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26 FEB 2022 AT 10:55

याद रख प्रयत्न पूरा कर
जीत को निश्चित ठान,
हकदार हो गर जीत के
उस हार में भी मान।

ठोकरों से मत घबरा
निरन्तर रख बढ़ने की होड़,
डटे रह हर हाल में
पीछे मुड़ने का विकल्प छोड़।

गिरकर भी फिर से उठ
और जीत को ललकार,
ना बैठ निराश होकर
अपनी कमियों को सुधार।

रुकना नहीं राह पर
जीत होगी या होगी हार,
कदम फिर बढ़ा आगे
जिंदगी का यहीं सार।।

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26 FEB 2022 AT 8:28

तुम खुद को देखे बिना मुझे दोषी ठहराओ
मैं नहीं कहती हमेशा मैं ही सही हूँ
गलती जब मेरी हो तो मैं स्वीकार जाऊँ
पर जहाँ मैं जानती हूँ मैं सही हूँ तो परवाह नहीं मुझे
फिर चाहो तुम मैं झुककर हर बार तुम्हारे पीछे आऊँ
तो हाँ मैं बुरी हूँ।
तुम चाहे खास हो मेरे लिए पर मेरी बात
सुने बिना ही मुझसे रूठ जाओ
कहाँ गलत थी मैं मुझे मेरी गलती भी ना बताओ
फिर चाहो तुम कि मैं ही तुम्हें मनाऊँ
तो हाँ मैं बुरी हूँ।
तुम मेरी छोटी-छोटी कमियों और गलतियों
को बहुत बड़ा बताओ
किया हो बर्ताव बुरा और जब मन करें अपनापन जताओ
फिर चाहो तुम मैं सब भूलकर अच्छी तरह पेश आऊँ
तो हाँ मैं बुरी हूँ।
तुम रहो व्यवहार अच्छे तो मैं और अधिक अच्छी रहूँ
जो हो नाता करो कद्र तो साथ निभाऊ
पर तुम बिना बात के मुझे बुरा-भला सुनाओ
सिर्फ जरूरत पड़ने पर अच्छा बन जाओ
फिर चाहो तुम कि मैं तुम पर यकीन कर जाऊँ
तो हाँ मैं बुरी हूँ।

-✍ Gunjan Pandey





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17 FEB 2022 AT 11:26

समर्पण हो सती सा
पूर्ण एक-दूजे से शिव-शक्ति
प्रतिक्षा हो शिव सी
मिलन हो जैसे शिव-पार्वती

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10 FEB 2022 AT 10:52

पिंजरे में कैदी पंछी
पहचान अपनी खो रहा,
बंधनों से मुक्ति चाहता
मन ही मन हैं रो रहा।

मजबूरी ये पंछी की
जबरन बंदिशे सहना,
जन्मा है सुंदर पंखों में
और पड़ता कैद रहना।

खुश नहीं वो इसमें
हर तरफ से गया घेरा,
खुद बना लेगा वो घर
प्रकृति में ही है बसेरा।

कई बार देखा पिंजरे से ही
बाहर पक्षियों का झुण्ड जाता,
काबिल है वो भी उड़ जाने के
काश संग में उड़ पाता।।

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23 JAN 2022 AT 16:55

जब पूछा किसी ने ये तो हर कोई था मौन,
माँ सा निस्वार्थ प्रेम किसी से करता है कौन ?

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10 SEP 2021 AT 11:04

शीश गज का धारण किये देवों में तुम प्रथम पूज्य कहलाये हो।
कर परिक्रमा माता-पिता की
उनकी चरणों में ही है सर्वोच्च स्थान जग को यह बतलाए हो।।

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30 DEC 2021 AT 15:59

कुछ पाकर भी खो दूँ
उसे अपना ना मान
मुस्कुरा देती हूँ।
गलत नहीं हूँ चाहे
रहकर चुपचाप
मुस्कुरा देती हूँ।
कोई साथ छोड़ दे तो
उससे हो अन्जान
मुस्कुरा देती हूँ।
स्थिति जो भी
सहकर हरहाल
मुस्कुरा देती हूँ।
नम हो जाए आँखे जब
फिर ला नई मुस्कान
मुस्कुरा देती हूँ।।

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