माँ !
किसी रोज जब मैं घर से बाहर जाऊँ, देर तलक जब लौट के ना आ पाऊँ !!
तू समझ जाना कि तेरी बेटी किसी शैतान का शिकार बन गयी !!
किसी हैवान की हवस मुझे बेरहमी से नोंच कर खा गयी !!
इस दुःखद घटनाक्रम का दोषी खुद को बिल्कुल भी ना समझना माँ !!
यूँ किसी कोने में बैठकर मेरे साथ हुए कुकर्म का तू शोक ना मनाना !!
खुद को संभालना, मन को मज़बूत बनाना, आँसू ना बहाना,
मुझे इन्साफ़ दिलाना माँ....
मुझे इन्साफ़ दिलाना !!
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ज़िन्दगी डूब गयी है आँसुओं के समंदर में,
कोई खुशी न रही अब मेरे अंदर में !!
बहारें रूठ गयी हैं मुझसे,
जान चली गयी है जैसे मेरे बदन से !! 🥀
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दिन, महीने और साल तो बदलते रहते हैं
ग़र हालात बदले तो बात बने !!
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साल भर के बाद सावन भी
लौट आता है प्रकृति का श्रृंगार सजाने !!
काले घने बादल भी लौट आते हैं
महीनों से प्यासी धरती का प्यास बुझाने !!
बसंत भी लौट आता है पतझड़ की
वीरान हुयी गलियों को फूलों से महकाने !!
"लौट आना संसार का नियम है"
मगर तुम नहीं लौटे....इस क्रम में
तुमने लौटने के नियम का उल्लंघन किया !!🥀-
ईश्वर ने ही अन्याय कर दिया
हम अधिकांश स्त्रियों को शारीरिक तौर पर कमजोर बनाकर,
अन्यथा बेहयाई पर उतर चुके
इन पुरुषों में स्त्रियों को निर्वस्त्र करने का दुस्साहस ही न होता !!-
किसी स्त्री से कोई गलती हो जाए
तो पूरी दुनिया उसे भला-बुरा कहती है,
लेकिन किसी स्त्री के साथ कुछ ग़लत हो जाए
तो दुनिया उसकी बुरी क़िस्मत का हवाला
देकर मामले को रफा-दफा कर देती है।
और लोग कहते हैं " मेरा देश महान "
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हैवानियत की हर हद पार करके
कुछ लोगों ने मुझे ऐसे छुआ...!!
मेरे जिस्म का कतरा-कतरा नोंच दिया
फिर सरेआम मेरी आबरू को नीलाम किया...!!-
मन व्यथित ; विचलित है
आँखें आँसुओं से सराबोर है
होठों ने भी जैसे मौन धारण किया है !!
गला रूँधा-सा है
हृदय में कोई हलचल नहीं
और मस्तिष्क भी शिथिल पड़ा हुआ है !!
चेहरा निस्तेज हुआ
सुध-बुध खोई हुई है कहीं
मानो जैसे आत्मा ने देह त्याग दिया है !!-
तुम्हारे माथे की
बिन्दिया
सम्पूर्ण संसार के
आकर्षण का
केन्द्र बिन्दु है !!
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