Kailash Yadav   (Word of kaiलाsh....)
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Joined 5 April 2018


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5 MAY AT 8:59

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28 APR AT 10:58

दुख से आप जितना दूर भागोगे
दुख उतना ही पास होने का महसूस करायेगा।

जीवन में हर वक़्त अगर खुशी ही मिले
तो खुशी का मोल खत्म हो जायेगा।

जरूरी है दोनों का जीवन में बने रहना।
इस संसारिक सन्तुलन के महत्व का सजे रहना।

हमारा कर्तव्य है, धैर्य बांधकर डटे रहना।
सुख-दुख सब स्वीकार करके जीवन में खड़े रहना।

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23 APR AT 19:42

कुछ बातें हैं मन में मेरे
जो मेरा मन मुझे सुनाता ही रहता है ।

बहुत दिन हुएं आईना देखे
एक आईना है की मुझे बुलाता ही रहता है ।

अब भीड़ भी सुनसान लगती है
और अन्दर का शोर चिल्लाता ही रहता है ।

ओढ़ लेता हूँ खुशी अब चेहरे पर
एक गम है कि हर हाल में रुलाता ही रहता है।

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12 APR AT 9:03

यादों में डूबना, तकलीफों का रहना, अब हरदम सा लगता है
किसी का पूछना - कि कैसे हो तुम?, अब मरहम सा लगता है।

न जाने कितने बार, खिल कर गूल, मुरझा जाते है बागों में
पत्तियों को क्या पता,फूल को कितनी बार पतझड़ सा लगता है।

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7 APR AT 15:22

खुद से पछतावा करना छोड़ दो
हम आईने हैं, हमसे छलावा करना छोड़ दो।
दुख का रंग भाता नहीं है, चेहरे पर तुम्हारे
ये खुशी का दिखावा करना छोड़ दो ।

खुद को मुझमें अब देखा मत करो
अगर लौट आना चाहते हो पहले के जैसा,
तो लौट आओ वास्तविक खुशियों के साथ,
नहीं तो घर के बाहर फेक कर, मुझे भी तोड़ दो।

क्यूँ खुद से इतना तुम भाग रहे हो,
हम आईने हैं, हमसे छुपाना सबकुछ छोड़ दो।
टूट कर अकेले बैठे हो, तो मुझे भी तोड़ दो
नहीं तो खुशियों से, फिर से खुद को जोड़ दो।

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4 APR AT 8:43

कितनी बार निहारूँ मैं
हे कृष्ण तुम्हारे दीदार में,,
एक मन है मेरा भरता ही नहीं,
तुम हरदम रहते हो ख़याल में।

कितना खुद को सम्भालूँ मैं
हे कृष्ण तुम्हारे अनुराग में,,
उर मन सब मै हार गयी हूँ,
तुम हर पल हो मेरे ख़्वाब में।

कैसे तुम्हें पुकारूँ मै
हे कृष्ण तुम्हारे नाम से,,
तुमको अपना मान चुकी हूँ,
तुम सब कुछ हो मेरे संसार में।

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31 MAR AT 10:21

कुछ बीत जायेगा , फिर कुछ और भी आयेगा
तकलीफ़ों के बाद खुशियों का दौर भी आयेगा

सही-गलत, कम-ज्यादा, सबका हिसाब होगा
करते रहो कर्म , सफलता भी दौड़ कर आयेगा

सहेज कर कितना रखोगे और कब तक रखोगे
सब धरा रहेगा, अपने वक़्त पर मौत भी आयेगा

छल, कपट, घमण्ड सब निरर्थक हो जायेगा
अच्छे कर्मो का ही, जगत में सौर भी छायेगा

जरूरी लोगों ने भले जरुरत निकाला हो तुमसे
एक दिन तुम भी जरूरी बनोगे वो दौर भी आयेगा

कुछ बीत जायेगा , फिर कुछ और भी आयेगा
तकलीफ़ों के बाद खुशियों का दौर भी आयेगा

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26 MAR AT 8:39

रंगीन कर दूं ज़िंदगी, मैं वो गुलाल थोड़ी न हूँ
तुम्हारे बेरंग ज़िंदगी का, मैं ईलाज थोड़ी न हूँ।

दौर भले ही है, सवालों और जवाबों का
क्या-क्या हिसाब रखूँ, मैं 'भगवान' थोड़ी न हूँ।

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23 MAR AT 10:03

जो अब तक अधूरा है, वो ख्वाब मैं सजाऊँ
तुम आओ तो तुमको गुलाल मैं लगाऊँ
बेरंग है जिन्दगी बिन तुम्हारे हमारी
तुम आओ तो रंगों का त्यौहार मैं मनाऊँ

गुमसुम सा अब हाल बना बैठा है
तुम आओ तो दिल की बात मैं सुनाऊँ
तुम सा यहां हसीं चाॅंद नहीं कोई
तुम आओ तो सबको ये बात मैं बताऊँ

ख्वाहिशों मे तुम हो,किस किस से मैं छुपाऊँ
बुला भी न पाऊँ, कैसे तुमको मैं बुलाऊँ
बेरंग है जिन्दगी बिन तुम्हारे हमारी
तुम आओ तो रंगों का त्यौहार मैं मनाऊँ

जो अब तक अधूरा है, वो ख्वाब मैं सजाऊँ
तुम आओ तो तुमको गुलाल मैं लगाऊँ ...

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19 MAR AT 13:11

प्रीत समर्पण की एहसास जगी

मृग नयनों से प्यार उमड़ आया।

जैसे 'सिया' ने देखा हो 'राम' को

और चेहरे पर भाव झलक आया।

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