आज गोवर्धन पूजा है.. सभी yq भाई , बहनों
को ढेर सारी बधाइयां.. यह दिन इसी कारण से मनाया जाता है कि.. इसी दिन श्री कृष्ण ने पर्वत को हाथों में उठा कर..वृंदावन वासियों को बचाया था.. अतः पर्वत को प्रदूषण मुक्त रखिए
तथा इसे बचाइए.. ये हमे जीवन देता है....।।-
वो पर्वत अचल अभिमानी बना रहा सदियों से
उसकी दरारों ने बताया वो हार गया नदियों से ।-
कितनी ही बातें होती हैं
जिससे मनोबल गिरता है
फिर से आगे बढ़ने को
पर्वत जितना बल लगता है
(शेष अनुशीर्षक में)-
कश्ती नहीं हूँ वो
जो कभी इस छोर तो कभी उस छोर
पतंग नहीं हूँ वो
जो कभी इस डोर तो कभी उस डोर
वो पर्वत हूँ
जिसे तु जहाँ छोड़ गया था बस वहीँ हूँ आज भी-
खुश है हम
चलो चले मिलाके हर कदम
हर मुश्किल का सामना खुशी खुशी करेंगे
चाहे चुनौतियों कितनी भी हो हम उनसे लड़ेंगे
आसमान को छूकर
सितारों से पूछकर
बुलंद है हौसले अब किसका डर
अपनी मंज़िल खुद तय कर
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जब रोई धरती रोया आसमान
बचाने आए तब भगवान
वो ही है हर समस्या का समाधान
हमे सत्य का मार्ग दिखाया
संकट से लड़ना सिखाया
पूरी की हर इच्छा हमारी
हे मेरे प्रभु ,हे शिव,हे भोलेभंडारी-
मैंने बादल को शिद्दत से चाहा,
और आसमाँ को मेहनत से पा लिया
दूधिया वो पर्वत मगर, यहाँ से,
अब लगता कितना हसीन है।-
सच बात तुमने कहीं है;गुरूर मुझमें हद से ज्यादा बड़ी है।
झूकेगा पर्वत क्यों नहीं,वरना हम भी चन्नी-पौडे से चिरेंगे सीना उसका जैसे "दशरत मांजीने"कर दिखाई है।-
है इसी दुनिया मे, कहीं और की दुनिया भी
ये पर्वत, ये बादल, ये बारिश, ये मौसम !-
असलियत देखी है ऊँचे पहाड़ो की
प्रकृति को पनाह देकर, खुद में पिघलता रहता है-