सुनहरी धूप
गुनगुनी छाँव
रखना ख़्याल
सरद ओढ़े
बदलते साल
मुबारक तुमको
इक और साल-
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मुस्कुराएं मन,
खुशियों का एहसास लिए।
जगमजाएं जग,
दीपों का प्रकाश लिए।
नई उमंग, घर आँगन भरें
अपनों की मिठास लिए।
!!शुभ दीपोत्सव!!-
कुछ न हासिल हुआ तेरे आने से मुझें
तू न आती तो अच्छा होता, बदनाम होने से मुझें-
रंग सुकूँ का, रंग जूनूँ का
रंग स्नेह का, रंग प्रेम का
हर रंग सच्चा, हर रंग पक्का
हर रंग अनूठा, हर रंग गहरा
जब साथ हो पिय का
जब साथ हो पिय का
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सुन ओ फाग़
के अबकी साल
जलाओ संवत्
कर दो
दुःखो का संस्कार
हो नव वर्ष मंगल
बरसे आशीष हजार
रंग चढ़ाओं
तन पे लाल
सफ़ेद कुर्ता
गुलाबी गुलाल
हर तन, हर मन
हो सहर्ष जहाँ
और
हर जन बने खुशहाल
सुन ओ फाग़
सुन ओ फाग़-
पतझड़ के खिलें उन रंगों में
तू उन चुनें परिंदों को भी रंग दे
के अबकी फाल्गुन में
तू उदास हर चेहरे को रंग दे-
थी चाय की चुस्कियां
और जिक्र था तेरा
तेरी ख़बर आ गई
के होली से पहले
तेरी तस्वीर आ गई-
शुभ हो,
स्नेह हो,
सबके लिए,
प्रेम हो।
उत्सव अपार,
अनंत हो।
उल्लास
नव वर्ष का,
मंगलमय
जग विजय हो।-
तुम बदल गये
और बदल दिये गये कैलेंडर
पर न बदला
तुम्हारा बदलना
बस उम्मीदों में ही
आशाओं के दीप को
पड़ा है जलना
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बीते साल को तुम याद रखना,
गुजरें लम्हों का ख़्याल रखना।
भूल न जाना तुम अपनों को,
पुराने सपनों के साथ चलना।
आते रहेंगे नए साल हर साल,
साल की तरह तुम न बदलना।
मंगल कामना दिल से है कहना,
मुबारक हो, नए साल का गहना।
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