LK Maurya   (L.K.Maurya)
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Magadhi(Patna)

https://www.facebook.com/loveleshkumar2020
Joined 9 June 2021


Magadhi(Patna)

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25 MAR AT 13:56

रंग सुकूँ का, रंग जूनूँ का
रंग स्नेह का, रंग प्रेम का

हर रंग सच्चा, हर रंग पक्का
हर रंग अनूठा, हर रंग गहरा

जब साथ हो पिय का
जब साथ हो पिय का

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24 MAR AT 22:15

सुन ओ फाग़
के अबकी साल

जलाओ संवत्
कर दो
दुःखो का संस्कार
हो नव वर्ष मंगल
बरसे आशीष हजार

रंग चढ़ाओं
तन पे लाल
सफ़ेद कुर्ता
गुलाबी गुलाल

हर तन, हर मन
हो सहर्ष जहाँ
और
हर जन बने खुशहाल
सुन ओ फाग़
सुन ओ फाग़

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23 MAR AT 23:14

पतझड़ के खिलें उन रंगों में
तू उन चुनें परिंदों को भी रंग दे

के अबकी फाल्गुन में
तू उदास हर चेहरे को रंग दे

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23 MAR AT 22:57

थी चाय की चुस्कियां
और जिक्र था तेरा
तेरी ख़बर आ गई
के होली से पहले
तेरी तस्वीर आ गई

-


1 JAN AT 9:23

शुभ हो,
स्नेह हो,
सबके लिए,
प्रेम हो।

उत्सव अपार,
अनंत हो।
उल्लास
नव वर्ष का,
मंगलमय
जग विजय हो।

-


1 JAN AT 8:59

तुम बदल गये
और बदल दिये गये कैलेंडर
पर न बदला
तुम्हारा बदलना

बस उम्मीदों में ही
आशाओं के दीप को
पड़ा है जलना

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1 JAN AT 8:43

बीते साल को तुम याद रखना,
गुजरें लम्हों का ख़्याल रखना।
भूल न जाना तुम अपनों को,
पुराने सपनों के साथ चलना।

आते रहेंगे नए साल हर साल,
साल की तरह तुम न बदलना।
मंगल कामना दिल से है कहना,
मुबारक हो, नए साल का गहना।

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2 DEC 2023 AT 0:49

खो गई थी उलझनों में ज़िन्दगी
ज़िन्दगी को जो बैठा सुलझाने
तुम्हारे गेशुओं के उलझनों में
आ अब सुलझ-उलझ बैठें हैं

सुनों,
शायद तुमसें मुहब्बत कर बैठें है
की, आप हमारी चाहत बन बैठें हैं

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2 DEC 2023 AT 0:31

न प्रेम चंचल राह
न प्रीत अंधेरों में
बस साथ तेरा तेरा उजाला
मेरे मित जगमगाया है

इतना ही चाहा है सुनों कभी
बस इतना ही बात मन की
चाहा है बातों से
जो मैंने तुम्हें
साथ तेरा पाया है बताया है
ठहरी तन्हाई में बस इतना ही
अब तेरा साया है तुझसे मैंने
बीत गया बस इतना ही तो
अब वो साल पुराना चाहा है
जो सिसकियों में साथ सदा
गुजारा है सदा निभानें का
सुनों
हर डगर पुनः ये मेरा वादा है
हर शहर हाँ,
सपनों संग ये मेरा वादा है
संग तेरे
एक-एक कदम
बढ़ाया है

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17 NOV 2023 AT 21:28

नदियों में बहती
आस्था का प्रवाह
और उनपर बरसती
चांद की चंद्रप्रभा
अनंत शीतलता

की एक किरण
दिनकर आ बरसे
और फुट पड़े
किनारे पे ठहरे
हर मन की
संपूर्ण व्यथा

की हे, छठी माई
तू बहा ले जा
हर कष्ट मेरे
और भर दे
हृदय स्नेह
मन संयम
और कर दे
रौशन घर आँगन
की रहे तेरी
बस इतनी ही छैया

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