QUOTES ON #PARINDEY

#parindey quotes

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23 JUN 2020 AT 21:34

हम वो 'परिंदे' हैं जिन्हें मंज़िल से इश्क निभाना है,
ये रस्ते बेवजह ही हमारे किस्से 'इश्तिहार' करते हैं!

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14 MAY 2020 AT 15:24

निकल पड़ा हूं तलाश में, मेरी मंज़िल नहीं आसान है ।
परिंदे ढूंडने निकल पड़ा हूं, मतलबी दुनिया जब साथ है ।।

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2 AUG 2021 AT 0:08

अपनी ही खींची लकीरों में तुम उलझे हुए
और उड़ने की बातें करते हो ।
पिंजरे में तुम खुद कैद हो
और परिंदों को आज़ाद करते हो ।।

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15 JUL 2020 AT 23:29

ना रुकी वक़्त की गर्दिश और ना जमाना बदला,
जब पेड़ सूखा तो परिंदो ने ठिकाना बदला।

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27 AUG 2020 AT 8:24

में चाहता हूं…
हर उस परिंदे को आसमान मिले,
जिसके पंख है यहां.
कैद के लिए इस जमीं पर,
इंसान कम है क्या ?
ऐ इंसान अपने शौक के लिए,
क्यों पिंजरे में परिंदो को कैद करे.
मुकद्दर को उसके तू क्यू खुद लिखे,
उसका घर... ये पूरा जहां है.
ये ज़मीं भी उन्हीं की है,
ये उन्हीं का आसमां है.
तूने जंगलों को क्या से क्या कर दिया,
परिंदो के घरों को क्यों उजाड़ दिया.
अब भी माफी मांग रब से और इन्हे जाने दे,
ए इंसान तू क्यों परिंदो को कैद करे.

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29 MAR 2021 AT 22:53

इन बेज़ुबानो की तुम कुछ खुशियाँ तोल के देखो ,
इतनी सी इनकी खुशि है कि तुम पिंजरा खोल के देखो.

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दिल से चाहो तो सजा देते हैं लोग
सच्चे जज्बात भी ठुकरा देते हैं लोग
क्या देखेंगे ये लोग दो इन्सानो का मिलन
जब साथ बैठे दो परिंदों को भी उड़ा देते हैं लोग

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17 MAY 2020 AT 21:24

मुसाफिर इस कफस में दम सा घुटने लगा है,
मालूम नहीं परिंदे को आजादी नसीब होगीं।

Instagram |@musafirrr_07

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9 MAY 2022 AT 13:52

मैं छत पर बैठ कुछ न कुछ नज्मे पढ़ता रहता हूँ,
मेरे आस पास परिंदे भी मङराते है..
छत की बालकनी के सामने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की रहती है..
जिसकी बड़ी-बड़ी आंखें, घने बाल, सांवली सुरत..❣
मतलब उसे देख मैं अक्सर कही खो सा जाता हूं.!
सच बताऊं तो मैं उससे दोस्ती करना चाहता हूं..
मैं उससे बातें करना चाहता हूं और उसे बताना चाहता हूं ,
वह कितनी खूबसूरत है। कई दिनों से मैं देख रहा हूँ ,
कि वो एरफोन लगाकर गुनगुनाती रहती है..
बाते करके झूमती मुस्कुराती ,
मुझे नही पता वो किससे बात करती है..
उसकी मुस्कुराहट में मुझे अपना अतीत नज़र आता है।
सोच रहा हु उससे एक दिन बाते करूं,
जब आसमान से बारिश होगी मौसम सुहाना होगा...

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25 JUL 2020 AT 8:29

ये सुहाने मौसम में परिंदों की फरियाद
कहां गए वो दिन और वो लोग
जो बड़े पर तान कर निकलते थे उड़ने
गोया जमीन पर उनका ठिकाना न था
वो जो उड़ जाते तो होता क्या हमारा
कहां जाते हम , कहां ये होते
फिर खुद ही अजल से आया वो स्याना
जिसने किया कुछ नहीं बस सब हो गया खुद
ना चलने को पैर इनको , ना उड़ने को पर
रैंग भी नहीं सकते ‌, इन्हें न है कोई डर
ये डोर है जहां में बुजदिली की
सिखा के जाएगी नया सबको सबक
जो है है बस ठीक, जो है नहीं ना कर चाह
हटा दें झूठी शान‌ का मुखौटा
डट कर ..कर सामना‌ हालात का और पा ले अपनी मंजिल....

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