कभी हवा, कभी पानी, कभी खुशबू,
तो कभी बहार बन के आ जाएंगे,
हम तेरे ख्यालों के अखबार में,
अनचाहे इश्तिहार बन के आ जाएंगे।-
जो थी कभी मेरे दिल की रानी...
अब बन गई है सिर्फ एक कहानी...
उसकी आखिरी है एक निशानी...
मेरी आंँखों से बहता ये झर-झर पानी...-
वो दूर से आते है दूर तक जाते है
गांव से लेकर शहर तक जाते है
तपती गर्मी में पानी की तलाश में
हमारे घर की चौखट तक आते है
थोड़ा सा उन्हें भी अपना बना लिया जाये
उन बेज़ुबानों के साथ मुस्कुरा लिया जाये
अपने आँगन या छत में थोड़ा सा पानी रख देना
प्यासे परिंदे आएंगे तो मेहमान नवाज़ी कर लेना-
पानी नहीं होगा तो ये जहान नहीं होगा
ये धरती नहीं होगी आसमान नहीं होगा
पेड़ पौधे पशु पक्षी कुछ भी नहीं होगा
और भागता हुआ कोई इंसान नहीं होगा
अब भी पानी की जरूरत समझ लेंगे तो
पानी के लिए कोई परेशान नहीं होगा
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बहुत जगह पानी के लिए दूर तक जाते है
अपने क़ीमती वक़्त को लाइन में लगाते है
पानी की अहमियत समझें पानी ना बहाये
पानी ही ज़िन्दगी है बूंद बूंद पानी को बचाये-
Meri mohabbat uss pani ki missal hai
Jiski pyaas mei pani bhi pyaasa hai...-
पानी के बुलबुले सी है ।
ये ज़िन्दगी अपनी ।
एक बार जोर से उठती है ।
फिर धड़ाम से कही ढेर हो जाती है ।
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लाख चाहकर भी नहीं रोक पा रहा इन आँखों से बहता पानी ,
तू ही बता यारा भला कैसे भुला सकता हूँ तेरी मेरी कहानी..!!!-