Koi pakshi bhuka na so jaye
Isliye maine har jagah daane daal rakhe the
Mujhe nhi pta tha ki maine
insano me hi naag paal rakhe the-
इस खुले आसमान को, आज पक्षी का इन्तजार है..........
सब छुपकर क्यूँ बैठे हैं, क्या सबके सब बीमार हैं!?
ये अनचाही मायूसी है, और सब घर में लाचार हैं.............
समझमें आता नहीं किसी को कुछ, क्या सबके सब निर्विचार हैं!?
इस खुले आसमान को, आज पक्षी का इन्तजार है...............-
कितना बड़ा है ये आसमान
पक्षी भरते यहां उड़ान
हवा और पक्षी खेलते है
पक्षी हवा में झूलते है
रात होती जब चांद आ जाता
होता जब सवेरा सूरज आता
सुबह नीले मेघ दिखते
रात को काले बादल छा जाते
मेघ यहां मंडराते
बारिश खूब कराते-
पिंजरे में बंद पक्षियों को कौन पूछता है साहेब
याद तो वही आते है
जो उड़ जाते है-
Insaan आजादी K Liye लड़ता Hai Or
चिड़ियों Ko क़ैद Karne Ki फितरत Rakhta Hai.-
आज़ाद करते हैं तुझको और तेरी तस्वीर को दिल के पिन्ज़रे से किसी पक्षी की तरह,
अभी तो मौसम सावन का है,
तुम मिलना मुझको फ़िर से पतझड़ में!-
मैं फिर आऊँगा
तुम्हारे ही पास,
तुम प्रतीक्षा करना,
मैं ग्रह व नक्षत्रों से
लड़, कुछ देवताओं
से कलह कर तुम तक
ऐसे आऊँगा जैसे-
अकस्मात प्रातः एक
विदेशी पक्षी तुम्हारे
झरोखे के पास आ
कुछ मधुर गाये,
जैसे किसी तपती
दोपहर नीम पर
बौर आये तनिक कड़वी
व मधुर सुगंध के समान,
किसी की बूढ़ी हो
चली आँखों में उमंग की
तरह, किसी प्राचीन
मंदिर में लुप्त होती
शंख ध्वनि के समान,
व सदा के लिए बस जाऊँगा
तुम्हारे वर्तमान में-
मैं आऊँगा तुम्हारे पास
भले ही जन्मांतर
के बाद आऊँ !!!!-
आशा का उत्साही पक्षी दूर दूर उड़ता
छन छन घटते जीवन क्रम में प्राण वायु भरता-
एक पंछी की तरह उड़ना चाहती हूं..
कम जी पाऊं चाहे पर
..खुश रहकर जीना चाहती हूं मैं..-
Tadap aise raha tha woh humse bichadne ke liye ...
(Jaise pinjre mein kaid panchi )
Aur aaj marr aise raha hai Woh humse milne ke liye jaise
(Jeene ko tarse panchi )
Par ab unhe Kya pata- ki humne jaan bakshnaa chord diyaa hai !-