माँ री, मैं कुछ बोलणा चाहूं सू, मैं थक लिया सू माँ, जमा अक्क लिया सू माँ, इस दुनियादारी तै, इस दुकानदारी तै, तू थाम ले मन्ने, एकब् साम्ब ले मन्ने, माँ री, मेरी माँ, मैं कुछ बोलणा चाहू सू, तेरे पल्लै तै दो रुपये खोलने चाहूं सू,
जिनका सब को इंतज़ार है वो मेहफ़िल में जरूर आएंगे, मेहबूब की मेहफ़िल को मेहबूब सजायेंगे, जब वो आएंगे सब उनकी तरफ देखेंगे, अरे देखना तो जे है गालिब कि वो किसकी तरफ देखेंगे,