पहचानते भी हो फिर
भूलने का नाटक करते हो-
हो अगर कभी रास्ते में मुलाकत उनसे तो नजर मिला के गुजर जाना,
अगर पूछले पहचानते हो तो साहेब तुम इस बात से मुकर जाना,-
उन्होंने हमें देखकर जब मुहँ मोड लिया
तब इस बात की तस्सली हुई चलो कम से कम हमें पहचानते तो हैं
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बड़ी मजबूती से थामा था, हाथ मेरा प्यार कहकर...
पता नहीं कैसे पकड़ ढीली हुई, अब पहचानते भी नहीं हमें..!!!-
जो टूटे हो अब इश्क़ मै तो सवर जाना
अब इन प्यार की गलियों से जरा संभल जाना।-
मेरी आँखें देख के ना पढ़ सकते हो मेरा प्यार,
ना ही मेरा गुस्सा,
कहते हो, मुझे मुझ से ज़्यादा जानते हो, पहचानते हो,
करते हो प्यार ये कैसा।-
मुझे अच्छा लगता है तब जब मैं
भूल जाने का नाटक करता हू ओर
तू लडक पण से नाराज होती हैं
तुझे सताने ओर मनाने का बहाना मिलता हैं-
Hota hai zindgi mai yesa bhi kabhi kabhi..
Log jaante toh hai.. Par pahchante nahi..❗-