मेरी फकीरों सी मोहब्बत,
और ऊंचे तेरी वफ़ाओं के दाम,-
कुछ नवाबों सा हममें भी,
शौक जबरदस्त है।
मिजाज़ बदलने को,
पान का बंदोबस्त है।
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ऊपर से पुरः सुकून, अंदर कुछ और कैफ़ियत,
पान की गिलौरी सी ही तो है, इंसानी फ़ितरत!
फीके जज़्बात पर चढ़ी, क़रीने से कत्थई रंगत,
होते गुलकंद से लबरेज़, छिपाते चूने की सीरत।
कसैली से अड़ते, कभी घुले किमाम से, है हैरत!
इलायची की ख़ुश्बू से ढकते, वो ज़र्दे सी नीयत।
सब्र के लौंग से बंधे, पान के पत्ते सी ही हालत,
समेटे कई ऐब ओ खूबी खुद में, परत दर परत !
उपर से पुरः सुकून, अंदर कुछ और कैफ़ियत,
पान की गिलौरी सी ही तो है, इंसानी फ़ितरत!-
अक्सर बेरंग होठों को रंगीन बनाता है ।
रसीला पान जब मुह में घुल जाता है।
मिजाज़ को बदल थोड़ा शौकीन कर जाता है।
होठों से रंग, जब ज़िन्दगी पर भी चढ़ जाता है।
चुना सुपारी दांतों की मुश्किले बढ़ा कर ही
ज़िंदगी की कठिनाइयों का एहसास करता है।
इलायची संग कथ्था शख्सियत महकाता है।
पान का शौक हमको नवाबी जो बनाता है।-
I wish to be the Paan of your life—wrapped in the richness of love, compassion, and care. A symbol of goodwill, always there to embrace your joys and soothe your sorrows. Let me be your comfort, helping you digest every tough emotion, making life a little sweeter, one moment at a time ❤️
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एक दिन बनारस के घाट पर तुमको बुलाएँगे,
पान क्या चीज है तुम्हें चाय भी पिलायेंगे।-
तेरी आदतों से मेरा कुछ ऐसा रिश्ता बन गया,
तु पान हो गई, मै उसमें चुना सा लग गया,
तेरी हरकते मेरे ज़हन में कुछ ऐसे चड़ गई
की जैसा लगा हो पान में कत्था, और लबों का रंग लाल हो गया,
तेरी मीठी मुस्कान ने दिल का हाल चासनी सा कर दिया
की जैसे पान में लगा हो गुलकंद, और खाने का स्वाद बेमिसाल हो गया..-
बाहर से हरा
अंदर से भरा
खाना है पसंद
किसी के भी संग
गुलकन्द का स्वाद
हमेशा रहता है याद
सुपारी की चहक
केसर की महक
वाह !! क्या स्वाद
कैसे करू अनुवाद
शादी में जाने का बहाना
पान ही पान खाना-