जिंदगी ने भी क्या रुख लिया
पहले एक साथ की दुआ करती थी
अब बस दो पल तन्हाई की ॥-
छोड़ तो आती हूँ उसको
दिल भी वहीं रह जाता हैं
हर पल में उसकी
खबर भी दे जाता हैं ।
सोच तो बदली हैं
थोड़ा मन भी मजबूत कर देते
जो छोड़ आती है अपना बच्चा
शामिल होने, दुनिया की इस रेस में ॥
-
बिखरी नहीं
फिर भी, समेट रहीं हूँ खुद को ।
खोई नहीं
फिर भी, खोज रहीं हूँ खुद को ।
टूटी नहीं
फिर भी, जोड़ रहीं हूँ खुद को ।
लगता तो नहीं
फिर भी, कुछ होने का
एहसास हो रहा है मुझको ॥-
घर क्या होता हैं?
ज़रा समझाना मुझे
जहॉं मैं रहती हूँ
उसे ससूराल,
जहॉं रहती थी
उसे मायका,
बोला जाता हैं।
घर क्या होता हैं?
ज़रा बताना मुझे ॥
-
जाने अनजाने में
कर बैठी एक बड़ी सी भूल
छोड़ दिया था लिखना
और लग गई थी मेरी डायरी पर धूल ।
यहॉ से जुड़ी हुई यादें
फिर से खींच लाई मुझे इस मोड़
बहुत कुछ हैं दबा हुआ
धीरे धीरे बयां करूंगी इसी ओर ॥-
तुझसे प्यार करने का हो गया एक गुनाह
अखिरी इच्छा हैं , हो जाऊं तेरी बाहों में फना-
मेरी खूबसूरती की मिसाल सब देते रहे
पर कभी मैंने यह दिखाना ही ना चाहा
इतना पढ़-लिख कर जो नाम कमाया
इस खूबसूरत लड़की ने कुछ नहीं पाया
जो चेहरा भगवान की देन है
बस उसी का गुणगान सुनने में आया-
सबको कैसे समझाऊं
अब सेहन नहीं होता
खुद का मन मारना
औरत का मान नहीं होता ।।-
नाम उनका लिया तो
सबको बुरा लग जाएगा
वो तुम्हे कुछ भी कहें
उनका हक कहलाएगा ।।-