उस इंसान से कभी मोहब्बत मत करना
जो मोहब्बत से दिल्लगी करे.....
निक़ाह नहीं...!!!-
Dousari shadi mard kay liye thi gairatmad aur shafaaf aankhe rakhna
Yun nikah bad bhi ladkiyu ko satana nikah ke touheen nahi tou kya hai-
एक मोजिज़ा करना खुदा, इश्क़ नामक मर्ज़ में शिफा लिखना
उश्शाक़ों की पूर-खुलूस उल्फत की मंज़िल तू निकाह लिखना-
आँगन अपना छोड़ घर किसी और के जा रही हूं,
मैं अब तक बेटी थी अब बहू बनने जा रही हूं।
वालिद की शान से शौहर का मान बनने जा रही हूं,
मैं अब तक बेटी थी अब बहू बनने जा रही हूं।
अपना वजूद भुला पहचान नयी बनने जा रही हूं,
मैं अब तक बेटी थी अब बहू बनने जा रही हूं।
बेफ़िक्रीया भूल के ज़िम्मेदारीयां उठाने जा रही हूं,
मैं अब तक बेटी थी अब बहू बनने जा रही हूं।
बचपना यहीं छोड़ संजीदगी से रिश्ते निभा रही हूं,
मैं अब तक बेटी थी अब बहू बनने जा रही हूं।-
पैसे वालो का ही जमाना है ,
तुमसे निकाह की आरज़ू सब को बताना है ।
नाकाम हु ! मै अपनी जिंदगी में ,
लेकीन तुम्हारे घर मे अपना रुतबा बताना है ,
भूलना ही पड़ेगा अब तुम्हारे वादों को ,
तुम्हारे दिल से अपने कदमो को पीछे हटाना है ।-
Nikah Q Karni chahiye..?
sunnat_e_rasool hai .
jis ne nikah nahi kiya wo
mujh me nahi.....
aur nikah iman wa lein
deen dar ladka se kre
jindgi asan hogi insha Allah.
निकाह का मक़सद शहवत रानी और जिना नहीं बल्कि अपनी इज्जत और पाकदामिनी की हिफाजत है।
जब आदमी शादी करता है तो उसका निस्फ (आधा) ईमान मुक़म्मल हो जाता है, अब उसे चाहिये कि बाकी आधे ईमान के बारे में अल्लाह तआला से डरता रहे।-
Ishq se gaafil to nahi par itna pata hai
Gar niyat nikah hai To mohabbat qubul-
मोहब्बत करना गुनाह नहीं पर याद रहे बिन्त ए-हव्वा
निकाह गुनाहों से बचाएगा आधा दीन भी पूरा होगा।
محبّت کرنا گناہ نہیں ----- پر ياد رہے بنت حوّا
نکاح گناہوں سے بچائےگا آدھا دین بھی پورا ہوگا!-