"सितम ए इश्क़"
कितना भी कर लो रुसवा ए सितम तुम,
ये नजरें सिर्फ तुम्हारी नज़र देखती है।
कितना भी दे दो दर्द ए जख्म तुम,
हर सांस सिर्फ तुम्हारे लिए चलती है।
सोंचूं भी कैसे दूर जाने का तुमसे
ए सनम
अरे मैं क्या,मेरा दिल क्या मेरी आत्मा भी,
सिर्फ तुम में बसती है।।
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