पेगाम आया है उनकी तरफ से ज़रा गौर फरमाना,
नज़रो से शुरू हुआ था जो इश्क़, नज़र लगा गया उसको ज़माना...!!!-
कोई नज़र तुझको छुये ना, तेरी नज़र उतार लूँगी,
मैं आज कि पुरी रात सिर्फ़ तेरी आँखों मैं गुज़ार दूँगी..!!!
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अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे,
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे।-
अल्फ़ाजो में ढूंढती हूं तुम्हें
हकीकत में कहाँ तुम नज़र आते हो ...-
मुझे मालूम नहीं कैसी दिखती है ये चाँदनी
मेरी नज़रों में तो चाँदनी वो है, जो तुम सी दिखती हो,
मुझे मालूम नहीं कैसी होती है हूर की परियां
मेरी नजरों में तो परी वो है, जो तुम सी दिखती हो,
मुझे मालूम नहीं कैसी दिखती है बला की खूबसूरतें
मेरी नज़रों में तो खूबसूरत वो है, जो तुम सी दिखती हो,
मुझे मालूम नहीं कैसी होती है ये दिलनशीं
मेरी नज़रों में तो दिलनशीं वो है, जो तुम सी दिखती हो,
मुझे मालूम नहीं कैसे करते हैं हुस़्न की तारीफ,
मेरी नज़रों में तो हसीन वो है, जो तुम सी दिखती हो,
मुझे मालूम नहीं कैसी होती है प्रेयशियां
मेरी नज़रों में तो प्रियशी वो है, जो तुम सी दिखती हो...-
मेरी यही ख़्वाहिश है हर पल हम साथ हो
मेरी बाहों में तुम रहो इन आंखो से प्यार हो
इस खूबसूरत जहां को हम एक साथ देखे
तुम मेरी नज़र से देखना और मैं तुम्हारी नज़र से-
"यादें इश्क़ की"
हर रात उसकी यादों को दफन करके सोता हूँ ,
वो ज़िन्दगी है शायद,सुबह फिर उसी का होता हूँ।
जिसकी खुशी की खातिर था दिल मुझसे बगावत में,
कम्बख्त एक झलक पाने को,अक्सर बहुत रोता हूँ।
कातिल आदाओं में जिसकी नशा था मयखानों का,
उस इश्क़ की तलाश में,बेइन्तहां खुद को खोता हूँ।
उसकी जुल्फों की घनी साये में कुछ ख्वाब थे मेरे,
वो समंदर थी इश्क़ की,मैं तालाब का इक गोता हूँ।
खड़ा करना है सबको इक दिन इश्क़ की कतार में,
जो कहा करते हैं अक्सर ,मैं मकाम बहुत छोटा हूँ ।-
_नज़र_
पलके उठाते ही कटार बन जाती है...
आपकी कातिल नज़र दिल को चीर जाती है...-
नज़र करे तो करें कैसे
नज़र है कि असर करती नहीं
कोशिश करें हम नज़र करने की
पर वो एक नज़र भी करती नहीं
असर करती है अदायें उनकी
इस कदर कि ज़हर भी करती नहीं
ये लाइलाज बीमारी है प्रसाद
इतनी तो पीड़ भी कहर करती नहीं।-