नारी
पैदा होने को ही जिसके बोझ समझा जाता हैं
जन्म से जिसके खुशियों के साथ थोड़ा मातम भी मनाया जाता हैं
बैठने उठने का सलीका जिन्हें बचपन से ही सिखाया जाता हैं
ज्यादा बोलने हसने का हक जिसे नहीं दिया जाता हैं
उड़ान उस चिड़िया की सीमित कर दी जाती हैं
संस्कार और रीतियों के नाम पर जिसे बेड़ियों में बांध दिया जाता हैं
लोग क्या कहेंगे ? का डर देकर उसके हजार सपनों को तोड़ा जाता हैं
जिंदगी को उसकी रसोई की चार दिवारी में कैद कर दिया जाता हैं
पवित्रता पर उसके हर बार सवाल किया जाता हैं
फिर भी वह अपना फर्ज निभाती हैं
शायद हर बार नारी होने का कर्ज चुकाती हैं
शायद हर बार नारी होने का कर्ज चुकाती हैं
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जब जब नारी चुप रहे , सहत पीड़ा असहाय ।
एक बार रौद्र रूप धरे , नर थर- थर कांपत जाए ।-
दहेज का लोभी हो गया कैसा ये समाज सारा ,
नां रहा इसके लोभ का अब कोई किनारा ,,
जिस बेटी के पिता नें जितना दहेज तौला ,
उसकी बेटी का गुन उतना सोना ,,
पर जो पिता दहेज जुटा नं पाया , उसकी बेटी
के गुन कोई जान नं पाया ,,
तौल लिए जब बहू से भारी सामानों को ,
मंडप में बैठे कहते हैं बडे ही शान से ,,,
बहू नहीं बेटी ले कर के जायेंगे ,,
भला क्या जग में ऐसा भी होता है , की कोई
पिता अपनी बेटी से उसकी खुशियों का
किराया लेता है ,,
अब नां अंदेखा करो इस बात को , समझो
ज़रा इस राज को ,,
हर बेटी किसी की बहू बनती है ,
और हर बहू किसी की बेटी होती है ...
इतना भी तो नादान नहीं ऐ समाज तु जो ,,,
कुछ और कहने की जरूरत पडे ,
कुछ और कहने की जरूरत पडे ,
कुछ और कहने की जरूरत पडे .........
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औरत : जरूरी या जरूरत ?
जिसे जरूरत समझते हो,
वो जरूरी है तुम्हारे लिए !
जिसके बिना पैदा नहीं हो सकते,
वो मजबूरी है तुम्हारे लिए ?-
अब बस करो उन पर यूं पाबंदियां लगाना....
अब बस करो एक लड़की के जन्म पर नाराज़गियां जताना....
अब बस करो उनमें लड़की होने का खौफ जगाना...
अब तो बदल जाओ यारों..अब बदल गया है जमाना...
अब मत करो उन्हें जज..मत करो इनपर शक...
क्या अपने शर्तों पे जिदंगी जीने का नहीं है उन्हें हक...
आखिर लक्ष्मी होती है नारी...
अब तो दो उसे अपनी खुशी से जिदंगी जीने की बारी...
कर लो नारी का सम्मान....
आखिर वो भी है एक इंसान...
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏-
पुरूष कोई भी कुकर्म बिना पत्नी के कर सकता है
लेकिन कोई भी सत्कर्म बिना पत्नी के नहीं कर सकता,
ये है सनातन धर्म में नारी का स्थान।
मन में यदि ‘काम’ की भावना, क्रोध, अहंकार
और लोभ भरा हुआ है,
तो ‘ज्ञानी’ और ‘मूर्ख’ दोनों एक समान है।
बाकी हर साल की तरह दिवाली आयेगी,
खुशियाँ देकर चली जायेगी,
हो सके तो फिज़ूल खर्चा करने से बचें
जिससे पर्यावरण शुद्ध और मन प्रसन रहे।
JIYO DIL SE ❤️-
खुद को हैवान बनाकर, हवस की भुख मत मिटाइए..
नारी सम्मान कर ,खुद के पुरषोत्तम को भी दिखाइए 🙏-
❣️शेरनी का शिकार करने के लिए, कुत्तों की फौज़ तैयार की है,
फिर कहते है हम मर्द है, हमने औरत पर फतेह हासिल कर ली है.❣️-
Ye kavita har ek nari ke lie.
Kab tak royegi nari khud ko kamjor or abla samjhkar,,|
Ab uth khade ho,,chandi kali or durga bankr,||
Mana darinde teen the,, tum bhi to thi ek,|
Pehchano apni shaktiyo ko jo hr nari me h anek,,||
Kitne hatiyaro se sushobhit h nari |
Hath per daat nakhoon||
Inka upyog karo bharpoor|
Or darindo ko kr do chakna choor||
Nariyo ki ijjat aise na girayo|
Rani jhansi bali bhoomika ab sab nibhao||
Khud ki ladai khud lado tum|
Ab kisi pr b nirbhar na raho tum||
Nariyo ki shakti se ache acho ne muh ki khai hai|
Aj isi kabita se hmne ,,har ek nari ko rajiya ,,lakshibai jesi nariyo ki yad dilai hai,,||
Kab tak royegi nari khud ko abla or kamjor samjhkr|
Ab uth khade ho sab ,, chandi kali or durga bankr||-