मुंतशिर हम हैं तो रुखसार पर शबनम क्यों है।।
आइने टुटते रहते है तुम्हें गम क्यों है।।-
तर्ज पर....
कब से दिन शुरू होता,है कब से रात होती है
मैं सब कुछ भूल जाता हूँ जब उनसे बात होती है
कभी हांँ फुरसतों में ही हमें वो देख लेते हैं
मगर उनको देखके ही मेरी शुरुआत होती है...।
(अनुशीर्षक जरूर पढ़े)-
कुछ खास मुश्किल न होगा आसमानों से उतरने में मुझे
मगर ये जमीं वाले जमीं पर चलने नही देते-
Bade dino baad
Aaj yaaron ke
Mehfil mein aaya hun,
Kyun na aaj thodi si
Sarab piya jaye;
Are kaafi Waqt ho gaya hai,
Kuch bhara nahi hun panno pe,
Chalo aaj kuch Musayra
Teri Bewafai ke naam kiya jaye.-
मैं आज कैसे लापता हो जाऊं,
कैसे तेरे दिल का पता भूल जाऊं।
बड़ी शिद्दत से अपना बनाया है तुझको,
हालात से डर कैसे एक ग़ैर हो जाऊं।।-
💛
ये दोस्त मेरा मुझे तुम्हारे नाम से बुलाता है
धीरे धीरे हर रोज तुम्हें मेरे दिल में बसाता है
तुम्हारी मुस्कान, आंखे, बिंदिया, झुमका,
नथनी और क्या क्या नहीं पता इसे
तुम्हारी सूरत हर पल ये मेरे आंखों में सजाता है-
मेरे अपनो के कुछ चेहरे,
बेनकाब हो गए।
हमने पढ़ लिया मन का छल,
और उनके हिसाब हो गए।
कहाँ मिलते हैं दिल के मासूम यहाँ,
दुनिया में छलियों के भंडार हो गए।
था गुमान मुझे अपने यारों पर,
पर्दा हटा और वे बेनकाब हो गए।
जरा संभल जा हसीन ख़्वाब वाले।
तेरे अपने, अपने रंग बदल गए।
मैं खड़ा हूँ तेरे साथ अकेला तेरा हुनर,
वो बदले, बदले तजुर्बे दे गए।-
इल्म नहीं था इस बात का /
की मुकद्दर बेनूर हो जाएगा /
तरसेंगे एक झलक पाने को /
इस तरह वो किसी और का हो जाएगा //-