मेरी कमी उससे पूरी हो जाती है अब,
मुझसे बात ना होतो उससे बात हो जाती है अब।
अब कॉल किसी का काटना नही पड़ता मेरे कॉल पर,
किस बात से मुझपे क्या बीतेगी वो समझ नही पाती है अब।
मेरी कमी उससे पूरी हो जाती है अब।-
जिया हूँ कम मरा ज्यादा अब तो हर मोत मैंन... read more
मै जिस घड़ी में हूँ मौत गवारा हो रही है,
पर मुझे जीना पड़ेगा क्योंकि मुझे खुद को जीना है।-
ओरों से नहीं खुद से जंग लगी है
खुद को साबित करने की ,
मै एकदिन दिखा दूंगा खुद को
खुद की अपनी कामयाबी।-
कुछ बातें यूं लफ्जों से बयां की जा नहीं सकती
जान जाओगी आंखें मिला लिया करो,
शर्म से यूं पलकों को ना झुका लिया करो।-
ख़ुद से किये वादे भी पूरे नही हुए,
ख़्वाब अधूरे रह गए मेरे सपने उलझे रह गए।
मेरे अश्क़ अभीतक सूखे ही नहीं थे कि,
तेरा सवाल आ गया तुझे हासिल करने
का ख़्याल आ गया।-
मैं इतना बेबस नहीं कि अपने आप पर से अपना बस खो दु ,
जुठ की बुनियाद पर खड़ा हो जाऊ और अपना सच खो दु।
मैं जैसा हूँ दिखने को तैयार हूँ मगर दिखावा मुझे करना नही,
मैं इस चकाचौंध के चमकूँगा नहीं चाहे अपना सब खो दु।।-
ये घर की वीरानी क्यों है?
ये क्या चाहती है?
ये खामोश होकर किसे बुला रही है?
उन्हें जो कभी इसका हिस्सा थे,
या उन्हें जो इसका हिस्सा बनने वाले है।
आखिर किसी के नहीं होने का दुःख है,
या किसी के आने का इन्जार है।
लेकिन जो बीत गया उसकी याद में
इसे वीरान नही कर सकते, ना किसी
का इंतजार कर सकते घर को घर बनाने के लिए।
जितना है जो भी है, हमें ही साथ मिलकर,
प्यार मोहब्बत से इस घर की वीरानी को
घर की खुशहाली करना होगा।
हमे इस घर को जिंदा रखना होगा।-
जब में बाल था तब मेरा बचपन था,
सारी बंदीसों से आजाद हर पल था।
मैं रोता भी खुलके मैं हँसता भी मुँह खोलकर,
आज मर्यादाएं का बोझ है रोना छुपाता हूँ।
आज हँसता नही बस मुस्कुराता हूँ।
बचपन मे अपने दिल की सारी बाते किसी
को कहने का सामर्थ्य नही था फिर भी
दिल का बोझ हल्का कर लेता था।
आज सब कुछ कह सकता हूँ मगर
नही कह पता डर लगता है कोई क्या सोंचेगा।
साजिशें नही थी किसी से बैर नहीं था,
ना ही नफ़रतें थी किसी से।
सोचता हूँ बाल से अच्छा इंसान कोंन होगा,
बचपन से अच्छा क्या होगा।-
रहने दो जिंदगी में सफर का मज़ा क्या पता मंज़िल कितना सुकून दे,
उम्मीद पर कायम है ये दुनिया मगर अधूरी एक कशक तो रहने दो।-