कुछ लोगों का कर्ज चुकाना है।
मरने से पहले,
हर जगह वो जलील बहुत करते हैं।।-
धुँधला दर्पण
धुँधला दर्पण, धुँधली सी तस्वीर,
क्या देखूँ इसमें, क्या है तक़दीर?
बीते पल हैं ओझल से सारे,
नया कल भी धुँधला लगे प्यारे.
हाथ बढ़ाऊँ, छूना चाहूँ सच,
पर परछाईं ही बस है अब.
कभी था ये रोशन, साफ़-साफ़,
अब बस धुँध की एक लंबी छाप.
क्या ये मेरी ही आँखें हैं नम?
या बदल गया है ये हर एक दम?
धुँधलेपन में खोजूँ मैं खुद को,
शायद मिल जाए फिर से वो मुझको.
-
बस आजकल हक जताना छोड़ दिया मैंने।
वरना मोहब्बत तो आज भी दीवानों की तरह है।।-
मिल ही जाएगी वो वजह एक ना एक दिन
तुमसे दूर होने की ।।
कमबख्त तुमको दिल से निकालने की
वजह कहां से लाऊं ।।।
-
Whatever character we play in a film
or a serial, that character has nothing
to do with our personal life.
Just like the God sitting above
who is our director,
we are playing the
character given by him.
Similarly, there is a director
inside the film and
we are playing
the character given by him,
that is not the truth of our life.-
कभी फुर्सत मे लिखूंगा //
वो तमाम खूबसूरत पल //
जो मैने सोचे जरूर थे पर //
मैं उनको जी नहीं पाया ///-