वो प्रेम पाकर बहुत इतराया
और फिर गुमराह किया गया
और फिर कभी नहीं लौट पाया-
जो कुछ बता रखा है शायरों ने।
हु बहू पाया है दुनिया को मैंने।
क्या तजुर्बा कोई नया लिख दूँ।
एक ही गालिब़ काफ़ी है दुनिया में ।-
अपनी आशियाना में ,
मैं ख्वाबों का एक जहाँ बसाऊंगा।
चांद ,तारें ,वादे, वफ़ा ,उम्मिदें
उसे जो जो चाहिए...
सब देकर दिखाऊँगा।-
मैं अब उसके इरादों से बगावत नहीं करता ।
मोहब्बत तो करता हूंँ पर इबादत नहीं करता ।
उसे समझना है समझ ले मुझको....
मैं अब फिजूल की कोई बातें नहीं करता।-
अपने गम की दवा ना कर ।
अगर है दर्द दिल में तो बयां ना कर।
लाख मिले हमदर्द तुम्हें ...
तो बातें टाल,बातें बना ,
मगर अपने दर्द को बयां न कर।-
मेरे दिल का तूफ़ान, वो क्या जाने?
एक मैसेज़ की अहमियत, वो क्या जाने?
ना बात करती है, ना ज़ख्म भरती है ।
मेरा ये हाल देखकर वो, हर रोज संवरती है।
तूफ़ान मेरे अंदर है, मसला मेरा बड़ा है ।
खै़र उसका क्या ? उसके साथ ज़माना खड़ा है।-
यहाँ मनुष्य मृत्यु से ,
चिर परिचित लगते हैं।
फिर भी अनंत स्वाँस स्वयं में,
भर लेने की कामना करते हैं।-
जिसे जितना चाहा खुश करना।
वो मुझसे उतना खफा हुआ है।
दौलत - ए - मोहब्बत मेरी ...
कुछ इस कदर बयां हुआ है।-
ये वादें, वफ़ा, उम्मीदें,
मेरी किस काम की।
हमने जिसे भी चाहा,
हमारे खिलाफ हो गया।-