आकर पास बैठो तुम कभी मैरे
सारे अपने किस्से मैं सुनाऊँ तुम्हे
यार थोडे से खास हो तुम अब
आओ आज बात मैं बताऊँ तुम्हे
और रूठ जाओ तुम अगर कभी
मुझसे,, डाँट कर मैं मनाऊँ तुम्हे
कहते हो के बहुत खास हूँ मैं
दिल-ए-आईना मैं दिखाऊँ तुम्हे
पतझड़ के मौसम में बहार नहीं
आती,, कैसे ये मैं समझाऊँ तुम्हे
बहुत फिक्र रहती है न तुम्हे मेरी
क्यूँ फिर यार मैं रूलाऊँ तुम्हे
बहुत अच्छे से वाकिफ हो रूचि से
सपना है फक्र महसूस कराऊँ तुम्हे-
Pat jhad ke panne Kahate,,
Mosam jara tu likh le...
Aaye jo dard-e-mosam,,
Sabko hashaa ke tu hash le...-
आज मौसम खुशनुमा हैं,
बिन बुलाए बरसात की वो धुन।।
बादलों का यू रंग बदलना,
कही काला तो कही सफ़ेद होना।।
रिमझिम सा फुहारा जैसा बरसना,
मौसम का खुशनुमा होना,
दिल के गहराइयों को छू जाना
एक नया सा रिश्ता हो जाता हैं।।
आओ फिर मौसम के रंगों में खो जाते हैं,
फिर एक नई राह एक नया दिन बनाते हैं।।
फिर जब मौसम आएगा,
तो एक नई दुनिया बनाएंगे।।
बस एक नई दुनिया बनाएंगे।।
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Badalo se toot kr bhi Lipti hai patto ke daaman se..
Shayad darti hai bunde
zameen pr girne se ...
٠•●♥-
بدلتے موسم کے ساتھ کچھ لوگ بھی بدل گئے، اَفراح!
اب اُن سے کیا گلہ کرنا، جب وہ پہلے جیسے رہے ہی نہیں۔
Badalte mosam ke sath kuch loog bhi badal gaye, Afrah!
Ab un se kya gila karna, jab wo pehle jaise rahe hi nahi..-