“साफ़ दिखने लगेगी ये दुनिया
ऐनक आँखों से उतर जाएगी...
किसी बच्चे को खेलते देखो,
आँख की रोशनी बढ़ जाएगी..!!!”
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लहू और इश्क़ रंग दोनो का फीका हो नहीं सकता
मैं उसका हो चुका हूँ अब किसी का हो नहीं सकता
नयी ख़ुशबू तलाशूँ मैं कि उसकी ख़ुशबुएँ भूलूँ.. ?
किसी का होगा, ये मेरा तरीक़ा हो नहीं सकता
मैं उसका हो चुका हूँ अब किसी का हो नहीं सकता ..!!!-
मलते रह गए हाथ शिकारी.. उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी..
अंतिम गोली ख़ुद को मारी… जियो तिवारी, जनेऊधारी..
Manoj Muntashir-
कुछ रोज नया यह शाम ले आती हैं
रोज नया एक रंज दे जाती है
हम गाँव में बैठे किसी टीले पर
घर आते आते उसके शहर की बस छोड़ जाती है
रातें कुछ पढ़ने मे तो
सुबह इक नींद के चलते
दोहपर मेरा दरवाजा खटखटाती है
इक मुझे हाफि से कितना इश्क़ है
वो शेकस्पियर को सुनाके मेरा सर खा जाती है
मेरे लगाये पेड़ अब कभी हरे नही हो सकते
किसी रोज हवा ए हिज्र मेरे बाग देख जाती है
यायावर🍂
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इज़्ज़त-विज़्ज़त , अना-वना ये ख़्याल ज़हन में आए गए
सौ बार उसी दर पर लौटे , सौ बार जहां ठुकराए गए-
तुम किस के वंशज हो🤔
खुले मंच से ऐसी दहाड़
जिसको सुनते ही सभी का आंख खुल जाए.!
यह सिर्फ भारत मां के सच्चे सपूत में ही
देखने को मिलता है नमन है आपको🙏-