Yaya VAR   (अभिमन्यु)
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Amateur writer
Literature student
Joined 26 May 2021


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Literature student
Joined 26 May 2021
14 FEB 2023 AT 13:29

आज शहर में शोर है बोहत
हम आबादियों से दूर मिलने आ रहे हैं

हमारा क्या लेना देना मोहब्बत के दिन से
यह गलत पते पे तोहफे आ रहे हैं

जैसे तैसे करके सड़क पार की है हमने
इतना ट्राफिक लोग तो लोग
मेरे गली के बच्चे भी आज चांद तोड़ने जा रहे हैं

पिछले साल जिनके हाथ में फूल थे
वही लोग मेरी लाइनों को शेयर करने जा रहे हैं

यायावर 🍂

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5 JAN 2023 AT 0:44

तुम नीट की टोपर
मैं रीट का अभ्यर्थी प्रिये
हर कीमत पे
यह दोनों जंग जीत चुका था लगभग
सितम यह है कि
कांग्रेस की सरकार थी प्रिये

यायावर 🍂




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31 DEC 2022 AT 14:17


खुद तक पहुँचने के लिए कितना दूर जाना पड़ता है
न जाने
कितने पेड़ है मेरे गाँव मे
न जाने
मुझे उस पेड़ की छाँव में बैठना क्यों अच्छा लगता है

क्या अजीब सितम है कि फरवरी मैं लिखे गीतों को दिसम्बर तक आते आते भूल जाना पड़ता है
सुना है यायावर तो सबसे करीब का यार था उसका
क्या अजीब सितम है उसे यह याद दिलाना पड़ता है

पुरा दिन खुद की इस इसरार मे गुजरता है
उसका फोन नही उठाऊँगा
न जाने क्यों उसका फोन क्या बजा उसका फोन उठाना पड़ता है

यह नज्म यह गजल यह शेर
खैर होते रहेंगे
बताओ आजकल कुछ ज्यादा हँसते दिखायी पड़ते हो
कौनसा गम है जिसे छुपाना पड़ता है

यायावर 🍂

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29 DEC 2022 AT 20:52

दरिया खुद बुलाता रहा खुद मे डूब जाने के लिए
जो खुद को बचा लाये वो हमी हैं
रिश्ते वक्त मांगते है
और वक्त की बड़ी कमी हैं।

यायावर 🍂

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11 JUN 2022 AT 15:12


मैं मर जाऊंगा
मुझे तारीफ से न नवाजिये

मुझे जीना है बहुत
दो शब्द आलोचना में कह दीजिये

यायावर🍂

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3 JUN 2022 AT 13:12

कुछ सवालों के जवाब देने मे थे मसरूफ
तो बाल संवारने का वक्त न मिला
मे हर रोज यही बात सोचके सोता हुं रात मे
चाय लाये थे वो बनाके बड़े शोंक से
मुझे उनका दिया हुआ cup ☕ न मिला


यायावर🍂

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5 MAY 2022 AT 19:36

महज कुछ गानों मे छिपी है तेरी यादें
वरना वक्त की आड़ मे तो हम खुद को भी भुला चुके थे।

यायावर🍂

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5 APR 2022 AT 11:15

कौन हो तुम कितना चले हो
फ़कीर से दिखते हो कहां से हो

दुखों के आबसार से चला हुं
मैं वो नदी हुं जो समंदर का ख्वाब लेके चला हुं
फकीर सा दिखता हुं शायद लकीर मे कमी है
चलते चलते घीस जायेगी लकीर
कल हर एक ख्वाब खरीद लू
आने वाले कल का वो अमीर हुं मैं।

यायावर🍂

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30 JAN 2022 AT 15:13

इक अजब सा तूफान उठा है इक जहन मे
आबाद करेगा मुझे या बर्बाद करेगा
यह वक्त बताएगा...

यायावर🍂

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27 JAN 2022 AT 1:09

मैंने तो बस यू ही कह दिया कि में तेरे शहर हुं
मेरे घर वाले है पास में अब बार बार फोन न लगा
इक में हुं कि डरता रहा
किसी की गैर मौजूदगी में तुझे छूने से
अब तू भरे बाजार में मुझे गले ना लगा
माना की मैं अच्छी लिखता हुं शायरी
तेरा भाई भी करता है insta पे तुझे follow
अब इस शायरी को story पे न लगा

यायावर🍂


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