एक पहचान देनी है जिन्दगी को,
लोगो को झुकाना है मुझे,
वो जो पलट के दिखाते हैं तेवर अपने,
उनकी औकात बताना है मुझे,
हो सकता है ये करने में थोडी़ देर हो जाये,
पर लौट के आऊंगा जरुर,
हो रहा हूँ गुमनाम अभी खुद में ही,
पर पहचान अपनी दिखाऊंगा जरुर,
याद रखना आगे की कहानी मे लिखूंगा,
बहुत हुआ दुसरो के लिए जीना अब,
अब अच्छी नहीं मे बुरा बनुंगा,
बहुत हूआ घुट घुट के मरना अब,
अब कोई सवाल नहीं बस जवाब होगा,
बस बुरा बनना ही मेरा ख्वाब होगा,
मे बदल रहा हुँ अब हर किसी के लिए,
न कोई उम्मीद न ही खुशी के लिए.....!!
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