Riste bhi kiraye ke makan jaise ho gye hai....
Jis trh makan badhlte hi pate badal jate ......
Usi trh njaro se aojhal hote hi ehsas bdal jate....-
रास्ते में अगर उसका
मक़ान ना होता 'सुख़न'
तो फिर बता तेरे रास्ते
आज कितने अलग होते-
अगर मोहब्बत का मिल जाना इतना आसान होता
तो आशिकों की गली में हमारा पहला मकान होता-
आरज़ू बरसात की है मुझे
कच्चा मकान तांक रहा है मेरा
हर कोने में झांकना
टपकता तो नही कोई घर का कोना मेरा
मां को आवाज़ लगाना एक बर्तन और देना
देखो ज़रा बिस्तर भीग रहा है मेरा
इसी जद्दोजहद में बरसात थम गई
वो देखो इंद्रधनुष निकल रहा है मेरा-
वो रोटी बांटते हैं,
वो कपड़ा बांटते हैं,
वो मकान बांटते हैं,
वो फसले और समान भी बांटते हैं,
ये सब तो ठीक है जनाब,
पर ये तो एक कुर्सी के लिए,
"हिन्दू" और "मुसलमान" में
"इंसान" भी बांटते हैं...!!!-
Na Khol Mere Makaan Ke Udaas Darwaze...
Hawa Ka Shor Meri "Uljhane'n" Badhata Hai-
अपार दौलत कमा लेने से मकान तो बन जाते हैं, मगर घर नहीं बनता
ईट पर ईट रखने से दीवार तो जुड़ जाती हैं
मगर दिल नहीं जुड़ता-
चार दिन की जिंदगी में वफा की
तलाश मत कर ए दोस्त...
क्यों कि वो वक्त और था....
जब लोगों के मकान कच्चे पर
लोग सच्चे हुआ करते थे...-
लोग हम से हमारें शहर का पता पूछते हैं,,
क्या ही कहें उन्हें हम तो गांव में रहतें हैं,,
गली, मोहल्ले, मकान के नंबरों से
शहरों के घर पहचाने जाते हैं,,
मेरे यहां तो गांव के एक नाम से
सबके घर जाने जाते हैं.....।।
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भरोसे की नीव मजबूत बनाना दो लोगों की खुशी होनी चाहिए मजबूरी नहीं,
क्योंकि मजबूरी से मकान बनते है घर नहीं |-