Aankhon ke Samne hokar bhi dil se dur dikhayi padta hai
Wo shakhs aj bhi mujhe utna hi majboor dikhayi padta hai-
Kisi ko itna majboor na karo ,ki jab wo apna muh khole to lafzon se aapke wajood ki dhajjiyan uda de.
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Kabhi kabhi dil kahta hai sb kah dun saare zaher ugal du , magar kuch lehaaz rakhne padte hain or yahi lehaaaz insaan ko ghut ghut ke marne par majboor kar dete hain.
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ये जो मज़दूर होते है
अपने घरों से दूर होते है
बहुत मज़बूर होते है
कभी सड़को पे सोते है
कभी छुप-छुप के रोते है
अपनों को याद करते है
ख़ुदा से फरियाद करते है
मगर जो बे-सहारा हो
घरों से बे-किनारा हो
उन्हें कौन घर देता है
यह खतरा कौन लेता है।-
उनकी यादों से टकराकर,
बिखरकर चूर रहते हैं...
कुछ इस तरह उनके इश्क में...
हम मजबूर रहते हैं...-
कड़ी धूप व भूख वे सह जाते हैं,
उनके जीवन की परिभाषा ही ' त्याग' है।
जिन रास्तों से गुजरे, वे भी सारे रो उठते हैं,
बुझ जाता जब गाँव का चिराग है।-
1 मज़दूर बाप सिर्फ 2 वक्त की रोती कमाकर अपने 3 , 4 बच्चों को पाल लेता है.
पर,, 1 अफसर बेटा उनसे 5 गुना ज्यादा कमाकर भी अपने उस बाप को पाल नहीं सकता..-
Dheere Dheere sab dour hote gaye...
Waqt ki age majbour hote gaye😑
Rishto mi hamne aise chot khaye ki...
Bas hum bewafa aur sab bekasoor hote gaye😶-
शायद रहा होगा कुछ मेरा ही कसूर
जो जिंदगी से हो गए हैं हम इतने दूर
दूर से देखो तो हँस के जी रहे हैं ये जिंदगी
पर किसे खबर कि जीने के लिए हम हैं पल-पल मरने को मजबूर-
Har Pal Humare Pas Hoke Bhi Wo Humse Dur Hote Hain.....
Sayad, WhatsApp Facebook Ki Wajah Se Wo Bhi Majboor Hote Hain....-