मेरी बर्बादी का इल्जाम ना आता तुझ पर जाना उस शाम गली में गर मैं तुझसे ना टकराया होता जख्म मिलते तुझे भी अगर इश्क़ में मेरी ही तरह अश्क़-ए-लहू कुछ तेरी आँखों ने भी बहाया होता। -
मेरी बर्बादी का इल्जाम ना आता तुझ पर जाना उस शाम गली में गर मैं तुझसे ना टकराया होता जख्म मिलते तुझे भी अगर इश्क़ में मेरी ही तरह अश्क़-ए-लहू कुछ तेरी आँखों ने भी बहाया होता।
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मैंने तो अब तक तुम्हारा एहसास भी नहीं खोयातुम ज़िंदा हो जानां अब भी मेरी हर एक साँस में। -
मैंने तो अब तक तुम्हारा एहसास भी नहीं खोयातुम ज़िंदा हो जानां अब भी मेरी हर एक साँस में।
मोहब्बत भी गुनाह होती है उसकी भी सज़ा होती है ये अजीब रिश्ता है जिसमे बेवफ़ाई भी वफ़ा होती है! -
मोहब्बत भी गुनाह होती है उसकी भी सज़ा होती है ये अजीब रिश्ता है जिसमे बेवफ़ाई भी वफ़ा होती है!
जो पल कभी तेरी याद से ग़ाफ़िल गुज़रा उस पल हमने खुद से भी नफ़रत की हैये मेरे दिल का दर्द क्यों कम नहीं होता ऐ-दिल क्या हमने दुखो से मोहब्बत की है। -
जो पल कभी तेरी याद से ग़ाफ़िल गुज़रा उस पल हमने खुद से भी नफ़रत की हैये मेरे दिल का दर्द क्यों कम नहीं होता ऐ-दिल क्या हमने दुखो से मोहब्बत की है।
हज़ार दफा के रोने से भी खत्म नहीं हुआ दर्द जो था वहीं रहा कभी कम नहीं हुआ। -
हज़ार दफा के रोने से भी खत्म नहीं हुआ दर्द जो था वहीं रहा कभी कम नहीं हुआ।
जितनी शिद्दत से मैंने उसे याद किया उसी शिद्दत से उसने मुझे नाशाद कियाअरे! उनकी उल्फत से क्या मिला मुझे उनकी उल्फत ने मुझे खूब बर्बाद किया। -
जितनी शिद्दत से मैंने उसे याद किया उसी शिद्दत से उसने मुझे नाशाद कियाअरे! उनकी उल्फत से क्या मिला मुझे उनकी उल्फत ने मुझे खूब बर्बाद किया।
प्यार इश्क़ मोहब्बत बस यही जानता है यह दिल दुनियादारी कहाँ मानता है वो खूब कहते रहते है, बस मेरे अपने हैपर ये नादां अपनों को खूब पहचानता है। -
प्यार इश्क़ मोहब्बत बस यही जानता है यह दिल दुनियादारी कहाँ मानता है वो खूब कहते रहते है, बस मेरे अपने हैपर ये नादां अपनों को खूब पहचानता है।
तुम्हारे बेवफा हो जाने की बात किससे कहुँ ज़ख़्म दिल पर खाने की बात किससे कहुँ मेरी जुदाई के गम को कोई भी नहीं सुनता तुम्हारे बाद सुलगने की बात किससे कहुँ कैसे बताऊं की तुझे कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढा गली-गली में भटकने की बात किससे कहुँ अभी तो हिज्र की तारीकिया है दोनों तरफ अभी जान से गुज़रने की बात किससे कहुँ तेरी चाहत में बेचैन यह अब भी रहता है मैं दिल के धड़कने की बात किससे कहुँ। -
तुम्हारे बेवफा हो जाने की बात किससे कहुँ ज़ख़्म दिल पर खाने की बात किससे कहुँ मेरी जुदाई के गम को कोई भी नहीं सुनता तुम्हारे बाद सुलगने की बात किससे कहुँ कैसे बताऊं की तुझे कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढा गली-गली में भटकने की बात किससे कहुँ अभी तो हिज्र की तारीकिया है दोनों तरफ अभी जान से गुज़रने की बात किससे कहुँ तेरी चाहत में बेचैन यह अब भी रहता है मैं दिल के धड़कने की बात किससे कहुँ।
होंठ सी लिए है मैंने जुदाई के मोड़ पर बस देखता ही रहा जहाँ तक नज़र गयी तेरे लिए तो ख्वाब था आया गुज़र गया पर देख ज़रा मेरी तो ज़ात बिखर गयी। -
होंठ सी लिए है मैंने जुदाई के मोड़ पर बस देखता ही रहा जहाँ तक नज़र गयी तेरे लिए तो ख्वाब था आया गुज़र गया पर देख ज़रा मेरी तो ज़ात बिखर गयी।
कैसे बताता में कहानी दिल-ए-वीराने की तुम्हे तो बड़ी जल्दी थी मुझसे दूर जाने की ! -
कैसे बताता में कहानी दिल-ए-वीराने की तुम्हे तो बड़ी जल्दी थी मुझसे दूर जाने की !