|| महा मृत्युंजय मंत्र ||
ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!
✍️ Shivanjali ♥️
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ॐ हौं जूं सः
ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः
ॐ सः जूं हौं ॐ-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥-
हर चीज़ का होता है एक अर्थ।।
क्या का भी है क्या कोई अर्थ।।
अगर हाँ तो समझाओ हमें ज़रा।।
प्रश्न विकट है हमारे सामने खड़ा।।
ध्यान रहे हम बस हिंदी में है निपुण।।
बाकी तो सब में है हम जीरो बट्टा गुल।।-
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!-
A cloudy day when
"Maha Mrityunjaya Mantra"
serenades your earbuds
with its divine connotation,
is a different love story.-
मै जब शोर कर रहा था, दीवारे मौन रहा करती थी
आज जब मै मौन हुआ, दीवारे सिसक उठी है
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पांडवों की वीरगाथा तो, सम्पूर्ण संसार सुनाता है
अपितु उन पांचों की छाया में, छठा वीर खोजाता है
ना पाया कभी वो दर्जा, जिसका वह हकदार रहा
सूर्यपुत्र होने का गौरव भी जिसके लिए अभिशाप रहा।
जो भीम सा था बलशाली , अर्जुन सा तीरंदाज़
जो धर्मराज की ही भांति था धर्म का पालनहार
मर जाते चारों पांडव, जो न होता जीवनदान दिया
जीवित लौटेंगे पांच पुत्र, इस वचन का उसने मान किया।
क्या है उस जैसा भी वीर कोई ,जो कुरुक्षेत्र में आया हो?
क्या है उस जैसा दानवीर, जो दुनियाभर को भाया हो?
मित्रता ऋण चुकाकर उसने ,खुद का भी बलिदान दिया
मित्र धर्म निभाने के खातिर अपनों पर ही वार किया।
क्या क्षति सही होगी क्षत्रिय ने, जब सबने था सूतपुत्र पुकारा
जब शिक्षा भूलने का श्राप देकर, गुरु ने भी था उसे नकारा
क्या होता जो ना देता वो कुंडल - कवच उतार
क्या होता जो कर पाता वो ब्रह्मास्त्र से वार।
आमने - सामने दोनों वीर, अब तो था बराबर का मौका
फिर प्रभु क्यों ये धोखा, आखिर क्यों रथ का चक्का रोका
शर्म ना आई अर्जुन को भी, चलाया जब धोखे से बाण
युद्धधर्म निभाकर तो लेता , इस धर्मश्रेष्ठ के प्राण
हस्तिनापुर के सिंहासन पर, उसका असली अधिकार था
पर उस कुंतिपुत्र के भाग्य में, अपने ही अनुज से मिला वो बाण था
युद्ध हारकर भी विजयी रहा , श्रेष्ठ उसका वर्ण था
महाबलशाली दानवीर वह, महामृत्युंजय कर्ण था।।
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That's me... #Monathakur
Shhhhhh.......Life is calling 📞
Don't tell about ur dreams to people
Just show them.... #Love #Life #Laugh
Enough to live a beautiful journey..
Reach the beautiful Destination..💕🛫-
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।-