Mehul Vaishnav   (Mahi)
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Joined 15 September 2019


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Joined 15 September 2019
19 MAR AT 10:36

कई किरदार ऒर कहानियाँ उलझा कर रखेंगी
सब्र करना जरुरी होगा पल पल नई चुनौतिया आएँगी
स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा
उम्मीदों का बोझ सर पर होगा, कभी जिंदगी खुशनुमा तो कभी गमजादा होंगी, विनम्र रहना सीखना होगा
इश्क़ परवां पर होगा लेकिन ठहराव करना जरुरी होगा
सफलता चरम पर होंगी लेकिन कदम ज़मीन पर रखना होगा!!

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18 MAR AT 20:53

सोलह श्रृंगार से हुए अब "अग्यार "!

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18 MAR AT 20:51

वो कहानी लिख गयी
जिसकी कविताएं लिखा करता था!!

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18 MAR AT 20:40

हर रोज मुस्कुराता हूं
यही सोचकर की कोई इस झूठ को पकडे!!

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14 MAR AT 11:16

ये रंग भी खूबसूरत है तुम्हारी तरह
कितने इठला रहे है तुम्हे देखकर!!
वो ग़ुलाल मानो अबीर से सरपट दौड़ लगा रहा है
मेरे हाथो से कुछ यु फिसल रहा है तुम्हारे गालों तक पहुंचने मे

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13 MAR AT 12:41

डरता है वो प्रेम के जाहिर होने से
कई अपनों को खो जो चूका है!!

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13 MAR AT 11:59

अबीर, गुलाल का अब क्या ही करू
उसके दिखाए रंग ही काफी है!!

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12 MAR AT 16:51

बगावतो का शोर मच रहा है
ना जाने कब समंदर ठहरे और किनारो पर हमारा आसरा बन जाए!!

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12 MAR AT 8:59

बिखर जायेंगे वो जिन्होंने इस धीर पर्वत को छेड़ा है
एक बार आलिंगन तो कीजिये दफ़न जायेंगे वो जिन्होंने इस फूल को तोड़ा है

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11 MAR AT 19:44


मुरझाया हुआ गुलाब और वो फटे हुए कागज की पुरानी सी धूल भरी किताब
सालो बाद दरवाजे पर दस्तक देती हुई नायिका के हाथों में
वो लफ्ज़ कुछ भी ना कह सकी, उम्र के आखिरी पड़ाव में
नायक के नाम माफ़ी की कुछ पंक्तिया और अश्रुओ का अम्बार लिए
एक हाथ नायक की ओर बढ़ाते हुए चंद सांसे उसके नाम कर गयी!!!

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