पहले स्नान किया फिर ध्यान किया,
कुचला भीड़ में माता - पिता, भाई - बहनों को,
सारे पुन्य को दर किनार किया,
परचम लहराया अपनी अज्ञानता का,
हर हर गंगे बोल कर "हर" को ही शर्मिंदा किया....-
हर वर्ष नहीं, यह 12 वर्षों के बाद आता है
लाखों लोगों की श्रद्धा और, भक्ति से भरा यह महाकुंभ ,
मेरी देवभूमि की पहचान को बताता है-
पावन है त्रिवेणी का किनारा कर लो सब प्रणाम
मिलेगा दोबारा नहीं महाकुंभ का ये पावन स्नान
आता है ये अवसर एक सौ चबालीस साल के बाद
मनाओ ये उत्सव सभी बोलो मिलकर जय जय कार
इस भव्य धार्मिक समारोह में आते अखाड़े करने को स्नान
अनेकता में एकता का कर देता भव्य दर्शन चारों ओर
समरसता का सुंदर संगम महाकुंभ देश का यह त्यौहार
हाथी घोड़े पर सवार होकर आते आचार्य अनेकों हजार
भक्ति गान कीर्तन और नृत्य के दृश्य लगे बड़े अपार
डूब के भक्ति में जन-जन करें गंगा माँ का आवाहन
जाति-पात और ऊंच-नीच का ना रहता कोई भेदभाव
महाकुंभ बन जाता आर्थिक लाभ का बहुत बड़ा स्थान
महाकुंभ श्रद्धा, आस्था और संस्कृति का महापर्व महान
यह देता सनातन धर्म को एक नया अद्भुत आयाम
सारी दुनिया में होता इस पर्व का हृदय खोल के गुणगान
प्रयाग नगरी जगमगा रही है देख लोगो का उत्साह बेमिसाल-
वो प्रयागराज की चिंगारी सी, मैं इलाहाबाद के इतिहास सा..!!
वो प्रयागराज की ख़ामोशी सी, मैं इलाहबाद जंक्शन के शोर सा !!
वो संगम घाट के ख़ास सुकून सी, मैं यमुना के पुल की गूँज सा !!
वो सिविल लाइंस के मॉडर्न कैफे सी, मैं कटरा की ठहरी दुकान सा..!!
वो कुम्भ मेले की चका चौंध सी, मैं इलाहाबाद की ढलती शाम सा..!!
वो बोट क्लब की ठंडी हवाओ सी, मैं कटरा की भारी भीड़-भाड़ सा..!!
वो संगम की नौका-विहार सी, मैं चौफटका की गलियों का सरताज सा..!!
वो प्रयागराज की चिंगारी सी, मैं ……..
वो योगी के संकल्प की आग सी, मैं चंद्रशेखर आज़ाद की हुंकार सा..!!
वो कुंभ के विराट मेले सी, मैं छात्र आंदोलनों के फ़िज़ूल उफान सा..!!
वो कुंभ के मेंहगे टेंट सी, मैं अकबर किला की शान सा!!
वो मार्कि के गरम मोमोज सी, मैं लोकनाथ के गरम पराँठे सा..!!
वो यमुना के तेज़ बहाव सी, मैं सरस्वती के अदृश्य प्रवाह सा..!!
वो वक़्त के साथ बदलती चीज सी, मैं इलाहाबाद के ख़ुसरो बाग़ सा..!!
वो नए बदलावों की ताज़गी सी, मैं किताबों में सिमटा इतिहास सा..!!
वो प्रयागराज की नयी पहचान सी, मैं पुराने इलाहाबाद की जान सा..!!
वो प्रयागराज की चिंगारी सी, मैं ……..
Just me, myself, and the rest of the universe attending #महाकुंभ2025.-
कैसे बताये कोई..किसे दर्द ज्यादा और किसे कम हुआ,
बहे दोनों के ही आँखों से आँसू,संगम भी तब नम हुआ,
अरबों की भीड़ में,सिसकता रह गया था प्रेम किसी का,
अब बताएंगी विरानियाँ,कि प्रयाग को कितना ग़म हुआ,-
तेरे बिना मुझे,क्या ये..प्रेम राग भायेगा,
ये मन तेरे लिए,हर खुशी त्याग जायेगा,
कितने मिलेंगे तुझे,मुझसे बेहतर यहाँ..
क्या कोई तेरे लिए,फिर प्रयाग आएगा,-
क्या सभी दुःख एक से हैं?
तुम्हारे बाद और एक दुःख ने मुझे घेर लिया
हम तक कुंभ नहीं आया कि
हम ही प्रयाग नहीं हो पाए...
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Pehle Maine socha ki mujhe kya jarurat mahakumbh jane ki maine kon se paap kiye hai jo dhulne hai mujhe...phir yaad aaya ki Maine galat college me admission liya tha
Meanwhile ab to jana hi pdega 😂-