S. H. Gupta   (Sg... ♥️)
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Now on instagram as ♥️03sarwadya♥️
Joined 21 June 2024


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3 HOURS AGO

बस इश्क़ नहीं वो,अब मेरी आदत है,
झुक गई जो नजरें तो,मेरी इबादत है,
ग़म को हिदायत है,न जाये दर उसके,
मुस्कुराहट को आठों पहर इजाजत है,

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YESTERDAY AT 22:25

आएगा वो भी समय एक दिन,
कि ख़त्म हो जाएगी तलाश तुम्हारी,
कुछ भी शेष न होने की आस में,
शेष रह जाउंगी तुम्हारे लिए,
निराशा की धुंध काढ़ कर,
पूर्ण होती दिखेंगी सारी आशाएं,
खंडित होकर भी तब मैं,
तुम्हें एक संपूर्ण पुंज में मिलूंगी,
तब लौटा देना मुझे तुम,
वो सारे आलिंगन आज के,
जिन्हें भविष्य कहकर,
तुमने आज न्योछावर किया है,

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YESTERDAY AT 17:52

माना लिख नहीं पाती,
तेरी तरह दिल के जज़्बात,
पर कुछ कुछ ऐसे ही हैं,
यार मेरे इस दिल के हालात,
हर बार की कोशिशें,
जो हुई हर बार ही नाकाम,
कह दूँ बात अपनी भी,
पर मेरे लिए न था आसान,
चुन ली मैंने ख़ामोशी,
की न हो कोई भी आहत,
मगर ये हुआ क्या कि,
मिट गई हर दिल से मेरी आहट,
अब तो बात बात पर,
वो मुझसे होने लगा है नाराज,
क्यों लगा उसे कि बदल गई,
मैं जो कल थी वो ही हूँ आज,

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YESTERDAY AT 17:39

प्रेमियों में "तृष्णा" ही प्रेम को जीवित रखती है,
"धैर्य"तो प्रेम की पराकाष्ठा को भी अनदेखा कर देता है,

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9 MAY AT 6:23

परिस्थितियाँ हों विकट,तो भी न ग़म करती हूँ,
कृष्ण हो साथ तो,न उम्मीद ये ख़तम करती हूँ,
आएगा एक रोज,कि श्रीजी सौंप आएँगी मूझे,
तब तक तु न पथराना,कि प्यार कम करती हूँ,

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8 MAY AT 23:02

लेकर उम्मीदें बड़ी बड़ी,
मैंनें अपनी मोहब्बत को झांका है,
फिर पाया है खुद को बेरहम,
और खुद को खुदगर्ज आँका है,
कि कभी थकती ही न थी,
कलम उसकी,मुझे लिखते लिखते,
आज ओझल हो रही हूँ मैं,
उसे उसी के सामने दिखते दिखते,
क्या हुआ ऐसा,किस पल हुआ,
देखो न कम पड़ गई मोहब्बत मेरी,
अब हर लफ्ज में दिखता है उसके,
कि उसके लिए मिट रही है आदत मेरी,
अब सोचा है ना हो आहट उसे,
बस जिए वो,जिए इसी एक बेखयाली में,
और इसी तरह मिट जाये हर्षिता,
जैसे एक कवि समेट लेता है दर्द ताली में,

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8 MAY AT 22:37

हे श्रीजी ! कौन है जो मुझे आपकी तरह जानता है,
कहने को तो सारा संसार ही मुझे अपना मानता है,

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7 MAY AT 11:33

श्री राधे के बिना कुछ,न श्री राधे के सिवा कुछ,
जो भी जैसा भी है मुझमें,श्री राधे मेरी सब कुछ,

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5 MAY AT 20:29

एक अकेले बचपन को ही श्रेय नहीं जाता,कुछ उम्रदराज यादें भी जवाँ बनाये रखती हैं इंसान को...

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5 MAY AT 18:12

काश कि उस भीड़ का वो हिस्सा होता,
मेरी छोटी सी दुनियां का हंसी किस्सा होता,
पहचान लेता मुझे मेरी धड़कनों से,
आकर फिर अचानक हाथ थाम लेता,
नजरें मिलती फिर हम दोनों की,
आँखों ही आँखों में इजहार होता,
दो अजनबियों के यूँ दीवाने होने पे,
हाँ उसकी जमीं को बहुत गुमान होता,
काश कि उस भीड़ का वो हिस्सा होता,
मेरी छोटी सी दुनियां का हंसी किस्सा होता,
घुटने के बल बैठ जाती उसके लिए,
दौड़ी चली आई थी मैं वहां जिसके लिए,
होकर बेपरवाह कह जाती दिल की बात,
फिर चाहे वहां होते कैसे भी हालात,
अब उस वक़्त को पछताती हूँ,
न की जो,वो कोशिश को तरस जाती हूँ,
अब न गुजरे वो जो हमपे गुजरी है,
आग बनकर आँसू आँख से उतरी है,
कि अब उस वक़्त के सहारे हैं,जब मिलेंगे,
बेजान मुरझाये फूल फिर एक बार खिलेंगे,
जब भी वो लम्हा याद करती हूँ मन में,
कुछ हासिल हुआ दिखता नहीं जीवन में,
भावनाओं के संग संग फिर बहती हूँ,
बार बार और हर बार दिल को कहती हूँ,
काश कि उस भीड़ का वो हिस्सा होता,
मेरी छोटी सी दुनियां का हंसी हिस्सा होता,

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