पहचान मेरी ये लिखावट बन गयी,
किसी को चुभ जाती है... और...
किसी के दिल मे उतर जाती है....-
किसी ने कहा.. इश्क़ लिखते हो!
कभी दर्द भी लिख लिया करो...
हमने कहा..
अगर इश्क़ किया था तो दर्द कैसे लिखते
और अगर दर्द लिखना था ,
तो फिर इश्क़ ही क्यों करते !!!-
उसको लिखना इतना मुश्किल नहीं,
उसको लिखना इतना मुश्किल नहीं,
.
.
.
जितना कि उससे बातें करना।।-
मुझको टटोलते मन को, अब जाकर सुकून होगा,
कि कोने में धूल से सनी उस टेबल पर,
आज भी कहीं उसका नाम लिखा होगा...-
Likhta me sirf aur sirf tere liye hun fidaa na jaane kon kon huwa ja rha hai yaha.
-
नहीं !! लिखना बंद नही किया है ,हमने
यूँ !!समझलो की सोचना बंद किया हुआ है ,हमने !!-
मेंरी लिखावट में मिलावट ना ढुंडो जनाब,
दिल की गेहराईयोंसे ऊतारे है लफ्ज मैंनें कागज पर ।-
भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है;
स्याही में थोड़ी सी, मेरे अश्कों की मिलावट है।-
इधर-उधर की रहने दो
कह दो जो बात आखरी हो
इत्मिनान से देख लो ये चेहरा
क्या पता ये मुलाकात आखरी हो
-