Abhishek Latta   (Abhishek)
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Joined 21 June 2020


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Joined 21 June 2020
3 MAY AT 17:49

कुछ कश्मकश सी है हमारी बीती अधूरी कहानी में,कि चर्चाओं में आज भी कभी तेरी तासीर मेरे वजूद को घोल जाती है...

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7 MAR AT 19:59

खोजते-खोजते कुछ खोज न पाया,बाछते बाछते कुछ बोल न पाया,ये फिज़ा में जाने कौनसा रंग है जो पलाश के केसरिया रंग को सेमल के गुलाबी रंग में ना घोल पाया...

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23 JAN AT 11:48

तू अघूरा ही रहा पूरा होकर,और मेरी बेबसी आलम देखिए जो "मैं" तेरे अधूरेपन के एहसास से पहले की दास्तान हूँ...

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25 DEC 2024 AT 21:20

सींच तो लूँ अल्फ़ाजों से मेरी ख्वाहिशों को लेकिन ,क्या इससे बराए मुमकिन तुझे हासिल करना होगा?...

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24 DEC 2024 AT 21:07

मेरी मशरूफ़ियत की दास्तां ना पूछिए,ये कलम की लकीरें बेगानों के लिए तेरी फुर्सत की सुर्ख़ श्याही से गोदी जाएगीं...

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23 DEC 2024 AT 19:21

परिचित हूँ,तुझ से अपरिचितों की तरह मुलाकातों से,मेरी बेबसी का आलम देखिए, अक्सर अपनों से मिलता हूँ खुद से तार्रूफ़ के लिए...

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22 DEC 2024 AT 19:26

आँखों में सिमटे हैं तेरे ख़्वाब सभी,
जाने क्यों करती है बातें ये दुनिया सभी,
सोचूँ मैं कह दूँ तुम्हें मेरे जज़्बात सभी,
मन में जो तड़पन है क्या जाने लोग सभी,
सींच लूँ आँसू से दिल की ये उलझन सभी,
जान जाऐगी महफ़िले गर तू साथ देदे अभी,
फिर ना गुज़रेंगी रातें ये पलकों पर नीदें लिए भरी
सजदे में फलक पर लिख दूँ ये इबारत ये मेरी!!!!...

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21 DEC 2024 AT 21:12

बिखरे रिश्तों को संभालते-संभालते ये कहाँ आगया मैं,अपनी गलती पर माफ़ी माँगने तक तो ठीक था,अब वो भी अपनी गुस्ताख़ी की मुआफी की उम्मीद मुझ से लगाने लगे है...

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16 DEC 2024 AT 21:37

मेरे नए गुनगुने दौड़ते खौलते ख़्याल कुछ खोने की तकलीफ़ को जानते ही नहीं,लगता है इन्हें मेरे बीते कल से रूबरू कराना होगा..

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13 DEC 2024 AT 17:41

अक्सर मैं उन्हीं सवालों के बारे में सोचता हूँ,जो मेरी दो बातों से पनपी उसकी कश्मकश से खाली हाथ लौटते हैं,

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