किसी से,कोने में,करी मेरी बातें आज भी ख़ामोशी चाहती होगीं,सुना है दहलीज पर कही बातें चार दीवारों में गूंजती बहुत हैं...
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I am not a writer but observer of life...
A trailblazer seeking happiness... read more
उनके हमदर्दी के शब्दों में वो सहानुभूति का गुनगुनापन नहीं होता, जिनके एहसास शुष्क संवेदनाओं की मोटी चादर ओढे आते हैं...
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हाय! ये ख्वाहिशें और उन ख्वाहिशों के दर तक पहुँचते-पहुँचते मेरे मन का सफर, किसे बताऊँ कितनी असमंजस की पगडंडियों से होकर गुजरा हूँ मैं...
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कुछ कश्मकश सी है हमारी बीती अधूरी कहानी में,कि चर्चाओं में आज भी कभी तेरी तासीर मेरे वजूद को घोल जाती है...
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खोजते-खोजते कुछ खोज न पाया,बाछते बाछते कुछ बोल न पाया,ये फिज़ा में जाने कौनसा रंग है जो पलाश के केसरिया रंग को सेमल के गुलाबी रंग में ना घोल पाया...
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तू अघूरा ही रहा पूरा होकर,और मेरी बेबसी आलम देखिए जो "मैं" तेरे अधूरेपन के एहसास से पहले की दास्तान हूँ...
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सींच तो लूँ अल्फ़ाजों से मेरी ख्वाहिशों को लेकिन ,क्या इससे बराए मुमकिन तुझे हासिल करना होगा?...
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मेरी मशरूफ़ियत की दास्तां ना पूछिए,ये कलम की लकीरें बेगानों के लिए तेरी फुर्सत की सुर्ख़ श्याही से गोदी जाएगीं...
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परिचित हूँ,तुझ से अपरिचितों की तरह मुलाकातों से,मेरी बेबसी का आलम देखिए, अक्सर अपनों से मिलता हूँ खुद से तार्रूफ़ के लिए...
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आँखों में सिमटे हैं तेरे ख़्वाब सभी,
जाने क्यों करती है बातें ये दुनिया सभी,
सोचूँ मैं कह दूँ तुम्हें मेरे जज़्बात सभी,
मन में जो तड़पन है क्या जाने लोग सभी,
सींच लूँ आँसू से दिल की ये उलझन सभी,
जान जाऐगी महफ़िले गर तू साथ देदे अभी,
फिर ना गुज़रेंगी रातें ये पलकों पर नीदें लिए भरी
सजदे में फलक पर लिख दूँ ये इबारत ये मेरी!!!!...-