...जी चाहता है...
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उनके इश्क में कुछ...
इस तरह कुर्बान हो रहें हैं...
पहले बेहाल थे...
अब बेजान हो रहे हैं...-
मैं इतनी हसीन नही जो तुम अपनी हसरतें कुर्बान करोगे,,
इक दिल हैं जिसपर तेरा नाम और कुछ नहीं जो तेरे नाम करूंगी.......।।-
Kurbaan hasratein hui hazar meri uski muskaan mai,
Ab jism qabar hona baki hai.-
Me to kurbaan thi tere ishq me eeshkadar ki tujhse kuch lamho ki duri mere dil me ek aag laga deti thi
Tune to mujhe khud dur hi kr diya
Ab iss zindagi me jiye to jiye Kese-
मिलना जरूर गर किसी को दी हो अपनी जुबान,
इसपे बने कितने किस्से, लोग हुए कितने कुर्बान।
कभी करके वादा मुक़र गये हैं अक्सर लोग यहाँ,
तो कुछ की जबाँ बनी है अब तलक़ वफ़ा-ईमान।-
मुहररम के चांद पर किसी का हक नहीं होता
कुरबां हूं उस नूर पर.......
जिसकी नजाकत पर कोई शक नहीं होता...
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सब कुछ अपना हम कुर्बान कर देंगे
एक ही जान है ,जान के नाम कर देंगे-
आसान नहीं होता ये सब कुरबान करना
आसान नहीं होता खुद के दिल को समझाना
खुद को बेगाना कर फिर भी ये रीत है निभाना
एक घर को सजाकर दुसरे घर को भी हैं सजाना।-
Bhout pyar se kaha mujhse unho ne ke tumhe bhe mil jaye ga koi aur.
"Sahab"
Joh hasrat mujhe aur ke hoti toh sab kuch kurbaan na kiya hota tum pe.-