I want to be the blank page of your dairy, from which you have no hope.
But still you come to share your every pain, your every smile with me.— % &-
Birthday- 14 January
आज उस बिस्तर को निहारा जा रहा था।
ऐसा लग रहा था, चीज़ों को भी अहसास होता।
उस बिस्तर को इतना वीरान पहले कभी नहीं देखा था।-
आपके सिर्फ मौजूदगी में भी कितनी ताकत थी।
लम्बे वक्त से दर्द था, खामोशी थी,
पर फिर भी एक फिक्र की डोर जो बाँधे थी।
वो उम्र भर की मोहब्बत,
जो आपके खामोशी में भी आपके अल्फाज पढ़ लिया करती थी।
वो भी अब खामोश हैं,
बस बटोर रहीं आपके सारे गुज़रे यादों को
आपका हरेक आलम, आपकी मोहब्बत हमेशा से आबाद हैं।
चाहे वो किसी भी रूप में हो,
बस अब वही गुजरी यादें हैं, जो हमारे साथ ठहरी हैं।-
रोज मोहब्बत पढ़ते हैं।
पर मोहब्बत सिर्फ इंसानों में ढूंढना लाज़मी है क्या?
ख्यालों में भी तो मोहब्बत होती हैं।
पर इस ख्याली मोहब्बत का नाम तक नहीं,
जिसने सौदा का जिक्र तक नहीं किया कभी।-
अगर खताओं को तौला जा रहा हैं,
तो कुछ हकीकत पर भी गौर फरमाया जाए।
या आजमाया जाए हर उस वक्त को,
जहाँ तौलना आसान हो जाए।-
एक बिस्तर का कोना सिर्फ अब यार हैं,
बगल में मोहब्बत शायद वो भी लाचार हैं।
यूँ खामोशी अब इतनी छायी हैं,
या खुदा मुझसे नाराज हैं।
यूँ रूह मौत को हर पल ताकें हैं,
या दुआ मुझे हर वक्त झाँके हैं।-
बातों के साथ बैठने वाले तो बहुत मिल जाएँगे,
कोई खामोशी में खामोश होकर ठहरे तो बताओ।-
किसी हद को बेखबर होते देखना।
यूँ तुम खुद से मुकर जाओगे,
बस उस हद के एक खबर के लिए।-
अगर नाराजगी हो तो गैरो से हो,
उसमें खामोशी का कोई मलाल ना हो।
ना समाज के कोई चोचले हो,
ना रिश्तों का कोई दायरा।
ना अंदर घुटन का बवंडर हो,
ना दिमाग में सवालों का समुन्दर।
ना आँसुओं की कोई बौछारे हो,
ना गले में कोई अटका हुआ फंदा।
ना किसी के इज्जत की परवाह हो,
ना किसी से मोहब्बत का इल्जाम।
यूँ बस कुछ हो तो बस वक्त का इंतज़ार,
और वक्त कि मार हो।-
यूँ सुर्ख़ियों में ही अपनी तलाशी हो,
तो अंदर उबले हुए सैलाब का क्या ?
सिर्फ एक खुमार को ढूंढने की साजिश हो,
फिर आबाद या बर्बाद की परवाह भी क्या ?-