मुट्ठी भर तादाद में होकर,
लड़ना अंधकार से ठीक नहीं
पर दर्ज विरोधों को करना,
जुगनू से सीखा जा सकता है-
वर्षों पहले गुलामी में जकड़ा था,
ये मेरा तिरंगा प्यारा।।
कायरों के झुंड ने रचा था ये खेल सारा,
पर ज्यो ही सिंह ने दहाड़ लगाई,
गूंजा था ये विश्व सारा,
अंग्रेज़ थर थर काँपे थे,
क्रांतिकारियों ने जो था एक कदम उठाया।।
भगत सिंह फांसी पर झूल गए,
किन्तु एक क्षण भी पलकों को न झुकाया,
लड़ते रहे आजीवन क्रांतिकारी,
जब तक अंग्रेज़ो को न मार भगाया।।
आओ मिलकर क्रांतिकारियों को नमन करें,
स्वतंत्रता सेनानियों के गर्व से नाम लें,
हुए जो शहीद उनको प्रणाम करें,
आओ खड़े सरहद पर उन जवानों को दंडवत करें।।
आओ मिल कर शपथ लें,
जान आपनी देश के नाम कर देंगे,
हमारे तिरंगे की ओर जो भी बुरी नज़र से देखे,
उसकी नींव ही हिला कर रख देंगे।।
-
आज के समय में किसी पदासीन अधिकारी का ईमानदार होना भी किसी क्रांति से कम नही है। वो बेईमानो और भ्रष्टचारियों के बीच क्रांति की मशाल लिए हुए खड़ा एक क्रांतिकारी है।
-
वो इश्क का आलम भी गजब रहा होगा …
राझाँ” जिसमे भगतसिंह” और
“हीर” जिसमे “आज़ादी” रही होगी…
सीने में भगतसिंह ,,माथे पर हिन्दुस्तान रखते है |
दुश्मनो के लिए बगल में कब्रिस्तान रखते है |
इतिहास में गूँजता एक नाम हैं भगतसिंह शेर की दहाड़ सा जश था जिसमे वे थे भगतसिंह छोटी सी उम्र में देश के लिए शहीद हुए जवान थे भगतसिंह आज भी जो “रोंगटे खड़े करदे ऐसे विचारो के धनि थे भगत सिंह....।।🙏🙏🙏
🇮🇳 इंकलाब जिंदाबाद 🇮🇳-
Hariyali ki chadar odhe baithe hai makano me,
Bhul gaye vo hindustan bana hai sirf veeron Ki balidano se,
Jaliyanvala baug ya haldi ghati Yad nahi,
uri or pulvama ke balidano ka jara sa bhi ehsas nahi,
Aaj safa pehne nikal pade hai Kai galion se
Sina tane ve,
Bhul gaye vo hindustan bana hai sirf veeron Ki balidano se,
Veeron Ki veerta pe sawal ye uthate hai,
Khud ko neta or desh ka rakhvala batate hai,
Na Jane kisne haq diya jo puche unka astitva un javano se,
Gandhi Ki khadi pehne aaj gidad bhi nikale hai makano se,
Bhul gaye vo hindustan bana hai sirf veeron Ki balidano se.-
न हाथो में कीलों के दाग के
न बकरे के खून के झाग के
न ही हवन कुंड की राख के
गर्व से कहता हूं मैं ये
हम वंशज है अशफ़ाक़ के-
हर्षोउल्लास की हुई थी बारिश,
सावन का हसीन महीना था
प्रफुल्लित हुआ था देश हमारा,
देशभक्तो का तन गया सीना था
इस बार न मांगी भिक्षा पंडित ने,
काकोरी मे हक़ को छीना था
-
सावरकर ने देश के पक्षपातपूर्ण विभाजन में गांधी जी का साथ नहीं दिया इसीलिए हम उनको वीर नहीं मानेंगे !!
-