हर मनुष्य,
हार्मोनल उठा-पटक के बीच,
अपने मन पर बेड़ियाँ कस,
जिस स्थिरता को
बनाए रखने का अथक प्रयास
करता है ;
वही स्थिरता
उसके " चरित्र " का निर्माण
करती है !!-
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इतिहास से,
भावनाएँ पृथक नहीं की जा सकतीं
ठीक वैसे,
जैसे भावनाओं से
मनुष्य नहीं पृथक किया जा सकता ।
मनुष्यों का इतिहास
बिना भावनाओं के,
मात्र लिखित दस्तावेज है,
और कुछ नहीं..!!-
आज तक
हमारी बनाई संस्थाएँ,
इतना विकसित नहीं हो पाईं कि,
सारे संयोग उनकी क्षमता की
सीमा में आ सके...।
सारे संयोगों के
प्रबंधन की क्षमता रखने वाला
आज भी...
एकमात्र सर्वशक्तिमान
"ईश्वर" ही है...!!-
एक बार..
बन जाए मेरे भी शहर
की सड़कें ;
फिर हम भी,
बारिशों से इश्क
लिखेंगे..!!-
वो,
जो कविताओं में है ;
पवित्र है।
वही,
जब व्यवहारिकता में उतरता है ;
दूषित हो जाता है !!-
वो,
कि जिसको कैद करने की
तमन्ना दिल में पाल
बैठे हो ;
वो,
तभी तक खूबसूरत है
जब तक आज़ाद
दिखता है !!-
सड़कें..
हमेशा आवारा रहीं
इसीलिए दूर तक गयीं...!
गलियों ने संकोच किया
और सिमट कर रह गयीं..!
दूर तक जाना है
तो संकोच त्यागना होगा !!-
अवसाद...
एक अवस्था नहीं,
बल्कि एक त्रासदी है !
एक
ऐसी त्रासदी...
जिसमें, मन ही मन को
मृत्यु को सौंप देना चाहता है,
जब मन के मन का
कुछ भी नहीं होता ।
धीरे-धीरे मन..
चाहना बंद कर देता है ,
उसके मन का कुछ भी होने की !!-
कई बार शांति स्थापित करने के लिए
भय उत्पन्न करना आवश्यक होता है ।
भय व्याप्त करने के लिए
कई बार युद्ध आवश्यक हो जाते हैं ।
और जिन्हें युद्ध से भय लगता है,
उन्हें शांति की लालसा त्याग देनी चाहिए !!-
कुछ आवाज़ें...
भीषण क्रंदन करती हैं,
लेकिन उनका क्रंदन किसी को
सुनाई नही देता !
कुछ आवाज़ें..
इसलिए भी मूक हो जाती हैं
क्योंकि उनको अनसुना कर दिया जाता है ।
कुछ आवाजों का दमन करने के लिए
उन पर अत्याचार आवश्यक नहीं..
विरोध में उठती आवाजों के
दमन करने का सरलतम मार्ग है,
उन्हें अनसुना कर दिया जाना !!-