स्त्री की कुटिलता
मात्र उसको नहीं खाती ।
बल्कि खा जाती है
पूरा परिवार, घर, समाज
देश और दुनिया..!!-
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इंसान..
साथ लेकर
कुछ भी नहीं जाता।
बहुत कुछ..
पीछे छोड़ जाता है।
लेकिन..
वो पीछे छोड़ी हुई चीजें
इतनी पर्याप्त नहीं होतीं कि
वो जाने वाले की खाली जगह को
भर सके !!-
हर किसी को पता है
मेरे हिस्से का..
कुछ ना कुछ सच !
हर किसी के हिस्से आया
मेरा सच..
कुछ ना कुछ अधूरा है !!-
पिंजरे में,
कैद पंछी को
पाबंदियों का एहसास
तब तक नहीं होता,
जब तक
मन में उड़ने का
विचार नहीं आता..!!-
हर मनुष्य,
हार्मोनल उठा-पटक के बीच,
अपने मन पर बेड़ियाँ कस,
जिस स्थिरता को
बनाए रखने का अथक प्रयास
करता है ;
वही स्थिरता
उसके " चरित्र " का निर्माण
करती है !!-
इतिहास से,
भावनाएँ पृथक नहीं की जा सकतीं
ठीक वैसे,
जैसे भावनाओं से
मनुष्य नहीं पृथक किया जा सकता ।
मनुष्यों का इतिहास
बिना भावनाओं के,
मात्र लिखित दस्तावेज है,
और कुछ नहीं..!!-
आज तक
हमारी बनाई संस्थाएँ,
इतना विकसित नहीं हो पाईं कि,
सारे संयोग उनकी क्षमता की
सीमा में आ सके...।
सारे संयोगों के
प्रबंधन की क्षमता रखने वाला
आज भी...
एकमात्र सर्वशक्तिमान
"ईश्वर" ही है...!!-
एक बार..
बन जाए मेरे भी शहर
की सड़कें ;
फिर हम भी,
बारिशों से इश्क
लिखेंगे..!!-
वो,
जो कविताओं में है ;
पवित्र है।
वही,
जब व्यवहारिकता में उतरता है ;
दूषित हो जाता है !!-
वो,
कि जिसको कैद करने की
तमन्ना दिल में पाल
बैठे हो ;
वो,
तभी तक खूबसूरत है
जब तक आज़ाद
दिखता है !!-