मुसाफिर हूँ.
गुजर जाऊंगा तू दगा कर वफा कर.
मैं नादान हूँ कहां सुधर जाऊंगा.
उठता सा धुआँ नशेमन से मेरे
हवा चली तो बुझा दिया जाऊंगा.
महगें लिबास महलो के,मिट्टी की
तकदीर को सिलाने कहां जाऊंगा.
मोहब्बत ये सफर खुदा मेरा ना था
आशिक़ हूँ जान भुला दिया जाऊंगा.
आसमा का चाँद आसमा को मुबारक
मैं बोझ हूँ एक दिन उठा लिया जाऊंगा.-
अमीर अपनी कामयाबी के किस्से
और काली कमायी को गिन रहे थे.
साथ में बैठा फकीर अपने हिस्से की
रोटी किसी भूखे को देके चला गया.
खुदा के घर का मजहबी नहीं था वो
तभी आँखों में खुशी देके चला गया.
गिर चुके है खुदा की नज़रों से वो लोग
वो परिंदा पिंजरे में जां देके चला गया.
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नाजायज़ से ख्वाब पालकर मुकद्दर पर इल्ज़ाम क्या लगाना जनाब,
चाहतें जायज़ रखते हो तो कोशिशों से भी इत्तेफ़ाक़ होगा..
- ©NikitaShriwas'तमन्ना'-
_कोशिश_
तेरे हर कदम को मैने एक वजह समझा
तुने मेरी हर कोशिश को बेवजह समझा-
_मुस्कान_
तू कोशिश तो कर ए-गालिब
जिंदगी जरूर संभल जायेगी
दर्द-ए-दरिया मे गोता लगाकर देख
कीमत-ए-मुस्कान भी समझ आएगी-
Khwaab To Hote Hi Hai
Tootne Ke Liye...
Jo Toot Ke Bhi Jud Jaye...
Usse Khawahish Kehte Hai.-
_कोरोना_
कोशिश तो हर पल
सवारने की है गालिब
कमबख्त ये कोरोना
जिंदगी संभलने तो दें-
जला कर एक दिया फलक ने चाँद बुझा दिया
भँवरों को चूम लिया गुल ने तो बाग़बान भुला दिया
दीवाली की मावस तो दफ्तर में रहे हम
रात पूनम की लौटे घर तो माँ ने दिया जला दिया
वो बगीचा जहां ज़माने से मोहब्बत छुपाते थे कभी
हमारी नफरत की चिंगारी ने पूरा गुलिशतां जला दिया
घर की सफाई में आज फिरसे दादी मिली हैं
उनकी खटिया की जिसपे मक्खी ने छत्ता बना दिया
आधा शेर, सूखे गुलाब, बड़े दिन जले है "राम"
बहा कर वो मतले मुक्तों ने पूरा दरिया जला दिया!
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Rishton ko sambhalte sambhalte thakaan si hone lagi hai , kitni hi koshish q na karlo roz koi na koi naraz hi rahta hai.
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