जिसके बिन कोई ख्वाहिश ना पूरी थी
जिसके बिन बातें सारी अधूरी थी
जिसने उसे अधूरा ही छोड़ दिया
टूटे दिल को जिसने और कई हिस्सों में तोड़ दिया
जो उन टूटे हिस्सों में भी शामिल था
जो मेरे सारे किस्सों में शामिल था
जिसके बिना दुनिया ही बेगानी सी थी
जिसके बिना जिंदगी कामिल न थी
मैंने उसे ख्वाहिशों से क्या निकाला
दिल से ही बेदखल हो गया वो एक शख़्स ...-
🔵Every writer is... read more
प्यार में सहूलियत नहीं देखी जाती
और सहूलियत देख कर की जाए वो प्यार नहीं होता..
प्यार है तो हर हाल में स्वीकार होगा
हर रूप में स्वीकार होगा
प्यार में बस मोहब्बत के फस़ाने होते हैं
दूर होने के बहाने नहीं ...-
इस दिल की कदर कहां हुई. .
इतना शोर मचा ख़ामोश दिल में
किसी को ख़बर कहां हुई. .
वो बोलते हैं कहते नहीं तुम कुछ
तुम्हारी मुझे पढ़ने की नज़र कहां हुई. .
सालों पहले का बोया बीज है पर
ये अब तक शज़र कहां हुई. .
कहीं गया न था मैं यहीं था
तुम्हारी नज़रें मुंतज़र कहां हुई. .
इक राह पे निकल पड़ा मैं भी अब
ठहरने की अभी मेरी उमर कहां हुई. .-
why is this void, if you are with me & why is this fear of losing you,
if you're not with me. . .-
कभी किताबे छोड़, ख़ामोशी भी पढ़ लिया करो
हर वक्त ढूंढा अल्फाज़ न करो
ख़ामोशी भी कहती है बहुत कुछ
और अब सवालात न करो
बह जानें दो इन अश्कों को बारिश की तरह
फ़िर कुछ याद न करो
ये मौसम,ये बारिश,ये हवाएं बहुत रूहानी है
इस वक्त को यूं बर्बाद न करो
कुछ देर बैठे रहो आंखे मीचे
अब और कोई बात न करो-
रेत सा इश्क़ था उसका
जितनी शिद्दत से पकड़ना चाहा
उतना ही छूटता गया. .-
इश्क़ करके हम भी कहां आबाद हुए,
हम बिखरते गए,तुम टूटते चले गए..
पर तुमने भी कहां टूटे दिलों को फ़िर से जोड़ा
इक अकेले कसूरवार हम रह गए
और तुमने कभी ये जताना भी नहीं छोड़ा..
-
दिसम्बर की रातें मुझे इतनी ठिठुराती रही
पता नहीं ये मौसम ज्यादा सर्द लगा था या तेरी खामोशी..-
मैं गुमराह रहा ख़ुद में
बे-तकान रफ़्तार में था..
मैं धूप का मुसाफ़िर
चाँद की तलाश में था...-