Jaruri To Nahi Jeene Ke Liye Sahara Ho
Jaruri To Nahi Hum Jiske Hain Wo Humara Ho
Kuch Kashtiya Doob vi Jaya Karti Hai
Jaruri To Nahi har kashti ka kinara vi ho-
निगाहों में रहते हो हर वक्त तुम
सिवा तेरे कोई नजारा भी क्या
बात दिल कि जुबां पे आती नहीं
ऐसा दिलकश हंसी इशारा भी क्या
ऐसे उतरे जो दिल कि गहराई में
डूबते आशिकों को किनारा भी क्या-
आग के दरिया से खेलने की हिम्मत हम में नहीं थी जनाब,
हमें तो डूबोया भी, तो इस बेहर-ए-इश्क़ के किनारे ने ।-
किनारों पर आकर ठहरी हैं
हमारी कश्ती |
इंतज़ार में हूं
कि कोई लाद दे ,
हम पर भी
अपने प्यार की टूटी बस्ती |-
Ishq ke dariya mai jo doob gaye ho
To kinare ko paane ki khwaahish kaisi..
Waade mohobbat par etbaar kar bethe
To use parakhne ki aazmaaish kaisi..
Dil bhi tutega aur dard bhi milega
Fir marham lagane ki farmaaish kaisi..
Raahe ulfat mai bohot dur nikal aaye ho
To ab pichhe hatne ki gunjaaish kaisi..!!!
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Zindagi ki manzil teye karne ke liye
Hame ek hi kashti ki zarurat padhti hai
Jiska faisla hame kinaare par hi lena hota hai..
Bich majhdhaar mai nahi...!!!-
Bujhi Na Pyaas To Yu Khatm Zindagi Kar Li
Nadi Ne Ja Ke Samndar Me Khudkhushi Kar Li.
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किसी पुरातन
वृक्ष की कंदराओं मैं
बहता हुआ लारा हूँ मैं
पल पल
अस्तित्व खोता हुआ
किसी नदी का किनारा हूँ मैं
जात-धर्म-द्वेष-रंग
सब से अलग किसी
बाजीगर का पिटारा हूँ मैं
वर्षा के उपरान्त
कौंध जाती हैं धूप जिसे वो
कोमल घास सा बिचारा हूँ मैं
खुदाई में मिली
अवशेषों की गुत्थी या
कोई खोया हुआ दुलारा हूँ मैं-
तु परिंदो की तरह उन्मुक्त...
मै सायों सा विलुप्त...
तु खुशियों की तरह सफल...
मै किस्मतों की विफलता का फल...
तु धूप की छांवो सा निर्मल...
मै तंग हवाओं सा दुर्बल...
तु फतेह् संग्रामो सा..
मै व्यर्थ के घावों सा...
तु एक शीतल धारा...
मै लहरों का मारा...
तु मुकम्मल दुआओ सा...
मै बेरहेम वेदनाओ सा...
तु मोहब्बत की पनाहो सा...
मै आपुर्ण राहों सा...
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Meri dubti huyi kasti ko kinara mil gaya
Tum mile jine ka sahara mil gaya
Ab chah kar bhi mar nahi payenge hum
Is dil ko humare jine ka ishara mil gaya
Meri dubti huyi kasti ko kinara mil gaya
Tum mile jine ka sahara mil gaya
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